बिहार में नीतीश-लालू का गठबंधन टूट गया है। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कल सुबह 10 बजे राज्यपाल को इस्तीफा सौंपेंगे। वे नई सरकार बनाने का दावा भी पेश करेंगे। JDU कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया। नीतीश राज्यपाल से कल ही नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाने को भी कहेंगे।
नीतीश फिर मुख्यमंत्री बनते हैं, तो वे 9वीं बार शपथ लेंगे। नीतीश ने राजद कोटे के मंत्रियों के कामकाज पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के बाद राज्य के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने सरकारी गाड़ी लौटा दी। दिल्ली से पटना पहुंचे भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिंह ने कहा कि दुनिया ने मोदी का सुशासन देखा है। अब बिहार की जनता भी देखना चाहती है।
नीतीश की ताकत
पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो लोकसभा में BJP के सामने सबसे बड़ी चुनौती नीतीश कुमार ही थे। विपक्ष के बिखरे कुनबे को एक मंच पर लाने का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है। ये नीतीश कुमार ही थे जिन्होंने सबसे पहले कांग्रेस को गठबंधन के लिए तैयार किया।
फिर उन्होंने उत्तर प्रदेश, बंगाल, दिल्ली,महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु जैसे राज्यों का ताबड़तोड़ दौरा किया। उन्होंने ममता बनर्जी और अखिलेश यादव को कांग्रेस के साथ आने के लिए राजी किया। जुलाई 2023 में वे ही पटना में BJP विरोधी नेताओं को औपचारिक तौर पर एक प्लेटफॉर्म पर लाए। नीतीश कुमार देशभर की 400 लोकसभा सीटों पर BJP के खिलाफ वन वर्सेज वन कैंडिडेट उतारने के फॉर्मूले पर काम कर रहे थे। उनका सबसे ज्यादा फोकस बिहार की 40, UP की 80, झारखंड की 14, और बंगाल की 42 लोकसभा सीटों पर BJP को पटखनी देनी की थी।
नीतीश कुमार की ताकत को भाजपा से ज्यादा बेहतर तरीके से कोई दल नहीं जानता। 2014 लोकसभा चुनाव को छोड़कर कभी भी नीतीश कुमार का वोट प्रतिशत 22% से नीचे नहीं रहा है। नीतीश को 2014 की मोदी लहर में भी 16% वोट मिले थे। नीतीश का प्रभाव केवल बिहार तक सीमित नहीं है। वे झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी असर डाल सकते हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में JDU अकेले लड़ी और 16.04% वोट लाने में कामयाब रही। तब पार्टी को 2 सीट मिली थीं और मोदी लहर में 36.48% वोट पाकर NDA 31 सीटों पर जीती था, लेकिन BJP को पता है कि उनको इतनी बड़ी जीत तब मिली थी, जब मुकाबला त्रिकोणीय था।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने जैसे ही BJP से हाथ मिलाया, NDA का वोट शेयर करीब 18% बढ़कर 54.34% हो गया। प्रदेश की 40 सीटों में से NDA को 39 सीटें मिलीं और विपक्ष से सिर्फ कांग्रेस 1 सीट ही जीत सकी थी। यही वजह है कि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में किसी भी हाल में नीतीश का साथ नहीं छोड़ना चाहती।
नीतिश और लालू के पास आप्शन
लालू से अलग होने के बाद नीतीश के पास दो ऑप्शन हैं। वह भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं। दूसरा विकल्प यह है कि वह विधानसभा भंग करके चुनाव में जाएं। हालांकि, इसकी संभावना कम है।
वहीं, आरजेडी सरकार बनाने की हर संभव कोशिश करेगी। इसकी वजह है- लालू की पार्टी बिहार में सबसे बड़ा दल है, दूसरा विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी आरजेडी से ही हैं।
हालांकि, सरकार बनाने के लिए आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट और AIMIM के विधायक मिलाकर 116 हो रहे हैं। बहुमत का आंकड़ा 122 है। उन्हें 6 विधायक और चाहिए। इसलिए लालू हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतन राम मांझी के बेटे को डिप्टी सीएम के पद का ऑफर दे रहे हैं।
बिहार विधानसभा की 243 सीटों में राजद 79 विधायकों के संख्या बल के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। दूसरे नंबर पर भाजपा है। इसके 78 विधायक हैं। जेडीयू के पास 45 और कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं। लेफ्ट के पास 16 विधायक हैं। एक विधायक सुमित कुमार सिंह निर्दलीय हैं और AIMIM के पास एक विधायक हैे।
हम पार्टी के पास चार विधायक हैं। विपक्ष में भाजपा, हम और एआईएमआईएम पार्टी है। जादुई आंकड़ा 122 का है। नीतीश कुमार अगर लालू प्रसाद के साथ छोड़ कर भाजपा के साथ जाते है तो उनके (जेडीयू) पास 45, बीजेपी के 78, हम पार्टी के 4 और एक निर्दलीय होगा। यानी127 विधायक होंगे। आरजेडी के पास चुनौती है कि वह कैसे 122 के आंकड़े पर पहुंचती है।
नीतीश की सियासत पर मीम वार
नीतीश कुमार के इस मूव से एक्स पर भी बड़ी मूवमेंट देखने को मिल रही है। यूजर अपने अपने हिसाब से नीतीश कुमार के मीम शेयर कर रहे हैं एक नजर इन मीम पर।