प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई समस्याओं से जूझना पड़ता है। प्रेगनेंसी के नौ महीनों के दौरान जैसे जैसे शिशु बढ़ता है और महिला के शरीर में बदलाव आते हैं, वैसे वैसे उनका वजन भी बढ़ने लगता है। ब्लड वॉल्यूम, एमनिओटिक फ्लूइड में इजाफा होने और शिशु के बढ़ने पर प्रेगनेंसी में धीरे-धीरे वेट बढ़ने लगता है। ऐसे में आपके लिए यह जान लेना जरूरी है कि गर्भावस्था में कितना वजन बढ़ना चिंता की बात होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ना सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। हाल ही में द लांसेट में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ना हार्ट अटैक के साथ ही कुछ मामलों में मौत का कारण भी बन सकता है।
बता दें कि यह स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ पेरेलमेन स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं की ओर से की गई है। शोधकर्ताओं के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में फैट बढ़ने से हार्ट से जुड़ी समस्याएं होने का जोखिम रहता है। इसके साथ आगे चलकर डायबिटीज होने का भी जोखिम बढ़ जाता है। स्टडी में शामिल होने वाली कुछ महिलाएं शुरूआत में ओवरवेट थीं, लेकिन आगे चलकर उनका वजन बढ़ गया। इस कारण उनमें हार्ट से जुड़ी समस्याओं के कारण मरने का खतरा 84 प्रतिशत तक बढ़ गया था। ऐसी स्थिति बच्चे पर भी प्रभाव डाल सकती है।
प्रेगनेंसी में कितना वजन बढ़ना चाहिए
जिन महिलाओं का नॉर्मल बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 18.5 और 24.9 है तो आपका प्रेगनेंसी में वजन 11 से 16 किलो तक बढ़ना चाहिए। वहीं, अंडरवेट यानी 18.5 से कम बीएमआई हो तो आपका वजन 13 से 18 किलो तक बढ़ना चाहिए। ओवरवेट महिलाओं में 25 और 29.9 बीएमआई होने पर 7 से 11 किलो वजन बढ़ना चाहिए। मोटापे से ग्रस्त महिलाएं जिनका बीएमआई 30 या इससे ज्यादा होता है, उनका 5 से 9 किलो वजन बढ़ना सही रहता है।
प्रेग्नेंसी में वजन बढ़ने से हो सकती हैं ये समस्याएं
- प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ने से आपको सेहत से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं।
- ऐसी स्थिति में नींद ज्यादा आने या फिर नींद बेहद कम आने की भी समस्या हो सकती है।
- इस स्थिति में खर्राटे आने के साथ ही सीने में जलन भी हो सकती है।
- प्रेग्नेंसी में वजन बढ़ने से थकान और अधिक पसीना आने की समस्या भी हो सकती है।
- वजन बढ़ने से आपका कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ सकता है।
प्रेगनेंसी में वजन कंट्रोल करने के तरीके
गर्भावस्था में आप डायटिंग नहीं कर सकती हैं। बच्चे को पोषण की जरूरत होती है और प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही में पोषण मिलना बहुत जरूरी होता है। ऐसे में डायटिंग करने की बजाय संतुलित आहार लें और भूख कम करने वाली चीजों या दवाओं से भी दूर रहें।
खूब पानी पिएं
प्रेगनेंसी के दौरान डिहाइड्रेशन से बचना बहुत जरूरी है। अगर आप पर्याप्त पानी पिएंगी तो आप अपने भोजन से संतुष्ट रह पाएंगी, जिससे ओवरईटिंग से बचने में मदद मिलेगी। पानी पीने से प्रेगनेंसी में कब्ज भी नहीं होती है। आप नींबू पानी या नारियल पानी के रूप में भी अपनी बॉडी में फ्लूइड्स की पूर्ति कर सकती हैं।
एक्टिव रहें और एक्सरसाइज करें
गर्भावस्था में एक्टिव रहना और नियमित व्यायाम करना जरूरी है। एक्सरसाइज करने से वजन कंट्रोल में रहता है और आप एनर्जी महसूस करती हैं। प्रेगनेंट महिलाओं को दिन में कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए और दिन में 10 मिनट पैदल चलना चाहिए।
स्मार्ट फैट लें
ऐसा नहीं है कि हर तरह का फैट मोटापा देता है। आपको अपनी प्रेगनेंसी डायट में सोच समझकर फैट को शामिल करना है। रोजाना 25 से 35 फीसदी कैलोरी हैल्दी फैट से मिलनी चाहिए। इसमें ऑलिव ऑयल, कैनोला ऑयल, मूंगफली का तेल, तिल का तेल, एवोकाडो, सूखे मेवे और बीज शामिल हैं। इसके अलावा टोफू, अलसी, अखरोट, सोयाबीन भी अपनी डायट में लें। ये चीजें शिशु को पोषण तो देंगी ही और साथ ही वजन को कंट्रोल रखने में भी मदद करेंगी।
आप अपने आहार और व्यायाम की मदद से गर्भावस्था में बढ़ने वाले वजन को कंट्रोल में रख सकती हैं। यह वेट कंट्रोल का सबसे सुरक्षित और असरकारी तरीका है। ये बात न भूलें कि आप जो भी खाएंगी, वो शिशु को मिलेगा, इसलिए अभी और डिलीवरी के बाद स्तनपान करवाने तक डायटिंग संभव नहीं है। तब तक आपको संतुलित आहार और एक्सरसाइज की मदद से ही वजन को कंट्रोल रखना होगा।