Importance of Fasting on Vijaya Ekadashi in Padma Purana and Skanda Purana : पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में विजया एकादशी के व्रत का महात्म बताया गया है। पौराणिक मान्यता है कि प्राचीन काल में कई राजा-महाराजा इसी व्रत के प्रभाव से अपनी निश्चित हार को जीत में बदल लेते थे। कहा जाता है कि विकट से विकट परिस्थिति में भी विजया एकादशी के व्रत से जीत पाई जा सकती है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, इस व्रत के जरिए आप चन्द्रमा के हर दुष्पभाव को रोक सकते हैं। ग्रहों के बुरे प्रभाव को भी काफी हद तक कम कर सकते हैं।
विजया एकादशी का महत्व
इस बार 24 फरवरी को विजया एकादशी का व्रत रखा जाएगा। विजया एकादशी के नाम से ही इसके व्रत का महत्व पता चलता है। यह विजय दिलाने वाली एकादशी है। विजया एकादशी पर भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। यह व्रत करने से आप बड़ी से बड़ी विपत्तियों से छुटकारा पा सकते हैं। व्रत के प्रभाव से शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं।
एकादशी की पूजन विधि
विजया एकादशी के दिन पूजन स्थल पर एक कलश की स्थापना करें। श्रद्धापूर्वक श्री हरि का पूजन करें। मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर पूजन करें। श्रीहरि को पंचामृत, फूल और इसी ऋतु का कोई फल अर्पित करें। एक वेला उपवास रखें और एक वेला पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें। शाम को भोजन करने के पहले उपासना और आरती जरूर करें। अगले दिन सुबह पूजन वाले कलश और अन्न, वस्त्र आदि का दान करें।
क्या करें, क्या ना करें?
विजया एकादशी के दिन तामसिक आहार, व्यवहार और विचार से दूर रहें। भगवान विष्णु का ध्यान करके ही दिन की शुरुआत करें। इस दिन मन को ज्यादा से ज्यादा भगवान विष्णु में लगाएं रखें। सेहत ठीक न हो तो उपवास न रखें। केवल व्रत के नियमों का पालन करें। एकादशी के दिन चावल और भारी भोजन न खाएं। इसके अलावा, विजया एकादशी के दिन रात की पूजा-उपासना का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन क्रोध न करें। कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें।