Body part does not burn during funeral rites, you will be surprised to know the reason : हिंदू धर्म में सबसे अंतिम और महत्वपूर्ण अंत्येष्टि संस्कार या दाह संस्कार को माना जाता है। कुल 16 संस्कार होते हैं, जिसमें दाह संस्कार के दौरान मृत शरीर को आग के हवाले कर दिया जाता है। मनुष्य के शरीर को जलने में लगभग 2-3 घंटे का समय लगता है। क्या आपको पता है कि शरीर के जलने के बाद भी कुछ हड्डियां भी पूरी तरह नहीं जल पाती हैं जिन्हें बाद में हिन्दू धर्म के रीति-रिवाजों से गंगाजी में प्रवाहित कर दिया जाता है। मानव का संपूर्ण शरीर जलने के बाद भी शरीर का एक अंग बच जाता है, जो पूरी तरह नहीं जल पाता है। आइए जानते हैं...
नहीं जल पाता है ये अंग
दो-तीन घंटे तक शरीर को जलाने के बाद शरीर में सिर्फ दांत बचते हैं। जिसका मुख्य कारण कैल्शियम फॉस्फेट होता है। हालांकि दांतों में पाए जाने वाले ऊतक जल जाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार 1292 डिग्री फॉरेनहाइट के तापमान आवश्यकता होती है, जबकि इस तापमान पर भी दांत पूरी तरह से नहीं जल पाते हैं।
दाह संस्कार क्या होता है
जानकारों के मुताबिक, 670 से लेकर 810 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान होने पर मात्र 10 मिनट में ही पिघलना शुरू हो जाता है। 20 मिनट के बाद ललाट की हड्डी टिश्यू से अलग होने लगती है। कपाल गुहा की पतली दीवार में दरारें आनी शुरू हो जाती हैं। इसके बाद आधे घंटे के अंदर संपूर्ण ऊपरी त्वचा नष्ट हो जाती है।
एक हिस्सा बच जाता है
शरीर में आग लगने के बाद से 40 मिनट में शरीर के आंतरिक अंग सिकुड़ जाते हैं जिसके बाद जाल और स्पंज जैसी संरचना दिखाई पड़ती है। 50 मिनट बाद शरीर से हाथ और पैर काफी हद तक अलग होकर जल जाते हैं, जिसके बाद सिर्फ धड़ बचता है। इसी प्रकार सभी अंग 2-3 घंटे में एक-एक कर पूरी तरह जाते हैं। हालांकि शरीर का एक हिस्सा फिर भी जलने से बच जाता है।