Worlds highest Chenab Rail Bridge built in Jammu and Kashmir : विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल चिनाब नदी की घाटी में बनाया गया है। रविवार को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बक्कल और कौरी के बीच स्थित इस पुल पर पहली ट्रायल ट्रेन सफलतापूर्वक चली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट कर जानकारी दी है। इसमें कहा गया कि यूएसबीआरएल के लिए सभी निर्माण कार्य लगभग पूरे हो चुके हैं। केवल सुरंग संख्या 1 आंशिक रूप से अधूरी रह गई है।
पहला चरण अक्टूबर 2009 में शुरू हुआ
उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) की यह महत्वपूर्ण परियोजना है। कुल 272 किलोमीटर लम्बी यूएसबीआरएल परियोजना में से 209 किलोमीटर का काम चरणों में पूरा किया गया, जिसमें 118 किलोमीटर का काजीगुंड-बारामुल्ला खंड का पहला चरण अक्टूबर 2009 में शुरू हुआ।
18 किलोमीटर का बनिहाल-काजीगुंड
उसके बाद जून 2013 में 18 किलोमीटर का बनिहाल-काजीगुंड, जुलाई 2014 में 25 किलोमीटर का उधमपुर-कटरा और इस साल फरवरी में 48.1 किलोमीटर का बनिहाल-सांगलदान खंड शुरू हुआ। यह एक स्वप्निल परियोजना है, जिस पर 1997 में काम शुरू हुआ था।
17 किलोमीटर के हिस्से पर काम बाकी
46 किलोमीटर के सांगलदान-रियासी खंड के चालू होने के साथ ही रियासी और कटरा के बीच केवल 17 किलोमीटर के हिस्से पर काम बाकी रह गया है, जिसके इस साल के अंत तक पूरा होने की संभावना है। इसके चालू होने से कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से रेलगाड़ी से जोड़ा जा सकेगा।
ट्रैक पर सफलतापूर्वक हुआ ट्रायल रन
रेलवे के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि संगलदान से रियासी के बीच पहली ट्रेन को हरी झंडी 30 जून को दिखाई जाएगी, जो जम्मू के रियासी जिले को रेलवे लाइन के जरिए कश्मीर से जोड़ेगी। उन्होंने बताया कि ट्रैक पर इलेक्ट्रिक इंजन का ट्रायल सफलतापूर्वक किया गया, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
चेनाब ब्रिज से संगलदान स्टेशन तक निरीक्षण
इंजन ट्रायल सीआरएस निरीक्षण के लिए पूर्व शर्त है। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधरी ने मोटर ट्रॉली के जरिए चेनाब ब्रिज से संगलदान स्टेशन तक निरीक्षण किया था। बक्कल-डुग्गर-सावलकोट-सावलदान सेक्शन में ट्रैक, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल सिस्टम और सिग्नल टेलीकॉम कार्यों का आकलन किया था।
पर्यटन स्थल के रूप में किया जाएगा विकसित
पेरिस के प्रतिष्ठित एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा, नदी तल से 359 मीटर ऊपर स्थित 1.3 किलोमीटर लंबा चेनाब रेल पुल परियोजना की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने पहले ही पुल को 'पर्यटक स्थल' के रूप में विकसित करने की योजना की घोषणा की थी।