दुनियाभर में 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। बता दें कि हर साल एड्स डे के दिन लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक किया जाता है। समाज में इस बीमारी को लेकर फैले मिथकों को दूर किया जाता है और इस बीमारी के लक्षण और बचाव वगैरह के बारे में बताया जाता है। कई जगहों पर इसके लिए कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
आपको बता दें कि एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिसिएंसी वायरस है। एचआईवी वायरस के कारण इंसान को एचआईवी-एड्स होता है। अगर एड्स का शुरुआती दौर में इलाज न किया जाए तो इससे मौत की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। एचआईवी का पूरी तरह इलाज है और दवा लेने से एचआईवी संक्रमित व्यक्ति पूरी उम्र तक जी सकता है। लेकिन अगर इसके इलाज में देरी हो जाए तो मामला बिगड़ जाता है। एचआईवी से एड्स तक वायरस तीन चरणों गुजरता है। पहले चरण में एक्यूट एचआईवी इंफेक्शन होता है, दूसरे चरण में क्रोनिक एचआईवी इंफेक्शन होता है।
भारत में 24.01 लाख लोग एचआईवी/एड्स संक्रमित
अगर इस चरण में इलाज न कराया जाए तो एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिसिएंसी सिंड्रोम हो जाता है। इसमें रोग प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह खत्म हो जाती है और शरीर बीमारियों से लड़ने के लिए सक्षम नहीं रह पाता है। लेकिन अगर शुरुआती दौर में लक्षणों को पहचान ली जाए और टेस्ट से पता चल जाए तो इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक एचआईवी संक्रमित व्यक्ति अगर शुरुआत में इसका इलाज कराए तो जिंदगी भर उसे कोई तकलीफ नहीं होती है। इसके लिए कुछ लक्षणों को पहचानना जरूरी है।
स्टेटस ऑफ नेशनल एड्स रेस्पांस 2022 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 24.01 लाख लोग एचआईवी/एड्स संक्रमित हैं। हर साल एचआईवी संक्रमण के 62,967 नए मामले दर्ज होते हैं और हर साल 41,968 लोगों की मौत होती है।
क्या होता है एड्स
एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immunodeficiency Syndrome- AIDS ) है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। जिस वायरस से एड्स होता है, उसे एचआईवी (Human Immunodeficiency Viruses) कहते हैं। एचआईवी एक ऐसा वायरस है जो सीधे व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर अटैक करता है और उसे बेहद कमजोर बना देता है। एचआईवी से पीड़ित मरीज के शरीर में तेजी से व्हाइट ब्लड सेल्स कम होना शुरू हो जाते हैं और उसका शरीर अन्य बीमारियों से बचाव में असमर्थ हो जाता है। ऐसे में एड्स के अलावा तमाम अन्य रोग भी उसे तेजी से चपेट में लेते हैं और व्यक्ति की स्थिति खराब होने लगती है कि वो मौत की दहलीज पर पहुंच जाता है।
जानें क्या है एक्यूट एचआईवी के शुरुआती संकेत
एचआईवी फ्लू की तरह शरीर में आता है। इसे 2 से चार सप्ताह का समय लगता है। इसके बाद मामूली बुखार, सिर दर्द, मसल्स में पेन, रैशेज, गले में खराश, मुंह में छाले, गर्दन के पास निगलने वाली नली में सूजन, डायरिया, वजन में कमी, कफ और रात में पसीना जैसे संकेत दिख सकते हैं।
एक्यूट एचआईवी के बाद क्रोनिक एचआईवी होता है
एक्यूट एचआईवी के बाद क्रोनिक एचआईवी होता है यानी वायरस शरीर के श्वेत रक्ति कोशिकाओं में पहुंच जाता है। हालांकि इस स्टेज में भी अधिकांश लोगों को उपर से कुछ कष्ट नहीं होता। शुरुआती लक्षण के बाद सारे लक्षण कमजोर पड़ने लगते हैं। इस स्टेज में अगर एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी दी जाती है तो वायरस कई सालों तक न्यूट्रल रहता है। कुछ लोगों में इस स्टेज में भी उपर के लक्षण ज्यादा दिख सकते हैं।
एचआईवी में वायरस खुद को कई गुना बढ़ा लेता है
एचआईवी अवस्था में वायरस खुद को कई गुना बढ़ा लेता है और इम्यून सेल्स को नष्ट करने लगता है। इस स्टेज में हल्का-फुल्का लक्षण दिखते हैं। बुखार, थकान, निगलने वाले लिंफ में सूजन (लिंफ नोड का सूजना एचआईवी इंफेक्शन का पहला पुख्ता सबूत हो सकता है, इसमें जीभ पर संकेत दिखते हैं यानी जीभ पर हेयरी ल्यूकोप्लाकिया.), डायरिया, वेट लॉस, ओरल यीस्ट इंफेक्शन, निमोनिया आदि लक्षण दिखते हैं।
दिखते हैं ये लक्षण -
अगर इन चरणों में एंटीरिट्रोवायल थेरीपी ली जाती है तो बीमारी पूरी तरह से कंट्रोल में रहती है लेकिन अगर इन तीन चरणों से वायरस आगे बढ़ता है तो यह एड्स में बदल जाता है जो बेहद घातक होता है। इसमें पसीना ज्यादा आना, तेज ठंड, क्रोनिक डायरिया, लिंफ नोड में सूजन, जीभ पर व्हाइट स्पॉट, बहुत अधिक थकान, कमजोरी, वेट लॉस, स्किन में रैशेज जैसे लक्षण दिखते हैं।
एचआईवी से इस तरह बचें
आजकल पूरी दुनिया में यह बीमारी एचआईवी से आगे नहीं बढ़त यानी एचआईवी को एड्स में बदलने के लिए 8 से 10 साल का समय लगता है। इसलिए एचआईवी की पहचान होने के बाद इलाज अगर शुरू हो जाए तो मरीज की मौत को टाला जा सकता है। इन सबके अलावा एचआईवी के प्रति चौकन्ना रहकर इसे शरीर में घुसने से बचाया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एचआईवी असुरक्षित फिजिकल रिलेशन, संक्रमित व्यक्ति के खून से संपर्क, संक्रमित मां के दूध से, प्री-सेमिनल फ्लूड, रेक्टल फ्लूड और वेजाइनल फ्लूड से फैलता है। इससे बचने के लिए हमेशा इन चीजों से बचना चाहिए। इसके लिए सुरक्षित संबंध (कंडोम और अन्य बैरियर मैथड), नियमित अंतराल पर एचआईवी की जांच और संक्रमित व्यक्ति के खून से किसी भी तरह से संपर्क को रोक कर एचआईवी से बचा जा सकता है। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने भी एचआईवी से बचने के लिए इन नियमों का पालन करने को कहा है।