भारत और कनाडा की तल्खी के बीच पंजाबियों की चिंता बढ़ती जा रही है।अपने देश के राजनयिकों पर भारत की कार्रवाई को लेकर अब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि भारत की ये हरकत लाखों लोगों का जीवन “मुश्किल” में डाल रही है। इस बयान के एक दिन पहले ही कनाडा ने भारत से अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाने की घोषणा की थी। अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया ने कहा है कि - ये पंजाब के स्टूडेंट्स और पंजाबियों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए।
भारत ने कुछ दिन पहले कनाडा से अपने राजनयिकों की संख्या कम करने को कहा और चेताया गया था कि ऐसा नहीं करने पर सुरक्षा वापस ले ली जाएगी। राजनयिकों को वापस बुलाने की घोषणा के बाद 20 अक्टूबर को ओन्टारियो में ट्रूडो ने कहा, “भारत सरकार भारत और कनाडा में लाखों लोगों के लिए जीवन को अविश्वसनीय रूप से मुश्किल बना रही है।
वे कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन कर रहे हैं. मैं लाखों भारतीय कनाडाई लोगों की भलाई और खुशी के लिए बहुत चिंतित हूं." “कनाडा के राजनयिकों को निकालने से ट्रैवल और बिजनेस में बाधा आएगी और कनाडा में पढ़ने वाले भारतीयों के लिए मुश्किलें पैदा होंगी.”
पंजाबी पेरेंट्स परेशन
बता दें, कनाडा में करीब 20 लाख भारतीय रहते हैं जो वहां की कुल आबादी का पांच फीसदी है। कनाडा में बाहर से पढ़ने गए छात्रों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की ही है। भारतीयों में सबसे ज्यादा पंजाबी स्टूडेंट्स ही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल एजुकेशन के लिए पंजाब से 68 हजार करोड़ रुपये खर्च होते हैं।
2022 में कनाडा ने कुल 2,26,450 वीजा को स्वीकृति दी थी। जिनमें पंजाब से पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों की संख्या 1.36 लाख थी। सभी छात्र दो से तीन साल का कोर्स करने के लिए कनाडा गए हैं। कनाडा में 3.4 लाख भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। साथ ही कनाडा जाने वाले सभी भारतीय छात्रों में से लगभग 60 प्रतिशत पंजाब मूल के हैं।पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे इन स्टूडेंट्स के पेरेंट्स मौजूदा हालात की वजह से परेशान हैं।
अब तक भारत का रुख
18 सितंबर को कनाडा ने भारत पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया और भारत के एक डिप्लोमैट को देश से निकाल दिया। जवाब में भारत ने भी उनके एक डिप्लोमैट को निष्कासित किया था। भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं भी बंद कर दीं। फिर भारत ने कनाडा से दिल्ली में मौजूद कनाडाई राजनयिकों की संख्या को कम करने को कहा।कनाडा ने 41 डिप्लोमैट्स की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें वापस बुला लिया। भारत में अब कनाडा के सिर्फ 21 राजनयिक बचे हैं।