Rare Coincidence Being Made on Basant Panchami : बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की उपासना करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, बल और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन इस बार बसंत पंचमी बेहद खास है, यह दुर्लभ संयोग में है। सनातन धर्म में सरस्वती पूजा पर्व का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है। बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का आयोजन धूमधाम से किया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा। विशेष बात यह है कि इस दिन रवि, शुक्ल योग, शुभ योग और रेवती नक्षत्र का संयोग बन रहा है। यह दुर्लभ संयोग 35 वर्ष बाद बन रहा है।
सरस्वती पूजन फलदायक
विद्वानों का मानना है कि बसंत पंचमी पर इन शुभयोगों में सरस्वती पूजन इस बार दोगुना शुभफलदायक होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 फरवरी दोपहर 02:41 से शुरू होगी। इस तिथि का समापन 14 फरवरी दोपहर 12:09 पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, पंचमी तिथि 14 फरवरी को होगी।
सरस्वती पूजन का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 14 फरवरी को सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त 5 घंटा 35 मिनट तक है। पूजा का समय सुबह 07.01 बजे से दोपहर 12.35 बजे तक रहेगा। बसंत पंचमी में माता सरस्वती की पूजा शुभ व श्रेष्ठ होगी।
दुर्लभ संयोग का महत्व
विद्वानों के अनुसार सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी तिथि के दिन शुभ योग, शुक्ल योग, रवि योग और रेवती नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। इन सभी को पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। 14 फरवरी को शुभ योग सुबह 07:55 तक रहेगा। इसके बाद शुक्ल योग शुरू हो जाएगा।
तीन शुभयोगों का संयोग
वहीं रवि योग सुबह 10:43 से 15 फरवरी सुबह 07:00 तक रहेगा। रेवती नक्षत्र सुबह 10:43 तक रहेगा। इसके बाद अश्विनी नक्षत्र शुरू हो जाएगा। ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला ने बताया कि बसंत पंचमी रेवती नक्षत्र के साथ इन तीन शुभयोगों का संयोग अत्यंत दुर्लभ है, 35 वर्ष पूर्व 1989 में यह संयोग बना था।