आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में दुनिया इतनी व्यस्त हो गई है कि हमें पता ही नहीं चलता की हमारा शरीर कब जवाब दे जाता है। कई बार हम अपने काम और जिम्मेदारियों को पूरा करने में इतना बिजी होते की हम अपने शरीर में होने वाले बर्नआउट सिंड्रोम के लक्षण के बारे में पता नही चलता है। कई बार लोगों पर इतना काम और जिम्मेदारियों का प्रेशर होता है की उन्हे चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है। इसका असर उनके प्रोफेशनल लाइफ पर ही नहीं बल्कि पर्सनल लाइफ पर भी पड़ता है। ऐसे में जो लोग काम करते टाइम ज्यादा परेशान होते हैं या दिमाग में चिंता बनी रहती है तो उन्हे सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि ये बर्नआउट सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर ये बर्नआउट सिंड्रोम होता क्या है और ये किन कारणों से होता है?
क्या होता है बर्नआउट सिंड्रोम?
बर्न आउट सिंड्रोम क्रॉनिक वर्कप्लेस स्ट्रेस की वजह से होता है यानी कि बहुत ज्यादा काम करने या किसी और कारण को लेकर बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेना है। जब आप लगातार काम कर थकने या ऑफिस में किसी काम को लेकर चिंतित रहने या फिर छुट्टी होने पर भी ऑफिस के काम के बारे में सोचते रहना या हर बार किसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो आप बर्न आउट सिंड्रोम के शिकार हो सकते होते हैं। वहीं जब बहुत ज्यादा तनाव होता है तब इस लक्षण की शुरुआत हो जाती है।
बर्न आउट सिंड्रोम होने के लक्षण
कब आपका काम पर जाने का मन न हो। वहीँ बॉडी में एनर्जी कम महसूस हो और आलस आये। इसके अलावा लंबे टाइम तक गुस्सा और चिड़चिड़ापन बना रहे, किसी भी तरह की जॉब पसंद न आना, सोते टाइम नींद का न आना और आत्मविश्वास व आत्मसम्मान की कमी महसूस करना और इससे भी ज्यादा पैनिक अटैक का आना बर्न आउट सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं।
किस तरह कर सकते हैं बचाव
इससे बचने के लिए अपने आपको को मोटिवेट करने की जरूरत है जिसके लिए आप मोटिवेशनल कोट्स या वीडियोज़ देख सकते हैं। वहीँ सुबह के समय मेडिटेशन करें।साथ ही ऑफिस का काम हमेशा ऑफिस में ही खत्म करके घर जाएँ। छुट्टी वाले दिन सिर्फ अपने परिवार या फिर घूमने फिरने पर ही फोकस करें। वाही किसी भी तरह का कम रते टाइम बीच-बीच में ब्रेक लेकर खुद को रिफ्रेश फील कराएं। फ्री टाइम में आप ऐसा काम करें जिससे आपको खुशी महसूस हो।