जगन्नाथपुरी धाम भारत के चार धामों में से एक है। हर साल आषाढ़ माह में ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है। श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रसिद्ध हिंदू मंदिर जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस सुप्रसिद्ध मंदिर को धरती का वैकुंठ भी कहा जाता है। वहीं इस साल पुरी की जगन्नाथ यात्रा 7 जुलाई रविवार से शुरू हुई।
53 साल बाद इस साल दो दिन की रथयात्रा
भगवान को आम दिनों से 2 घंटे पहले जगाया गया। मंगला आरती सुबह 4 की बजाय रात 2 बजे हुई। इससे पहले 1971 में भी रथयात्रा दो दिन चली थी। अब 53 साल बाद इस साल पुरी की रथयात्रा दो दिनों की होगी। रथयात्रा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल होंगी। पीएम नरेंद्र मोदी ने रथयात्रा की देशवासियों को शुभकामनाएं दीं।
रथयात्रा शाम 5 बजे शुरू होने की संभावना
इन पूजा विधियों के चलते रथयात्रा शाम 5 बजे तक शुरू होने की संभावना है। रथों को सूर्यास्त तक ही खिंचा जाएगा। सूर्यास्त होने पर रथ जहां तक पहुंच जाएंगे, वहीं रोक दिए जाएंगे। रथों पर ही भगवान का नित्य पूजन होगा। इसमें संध्या आरती, भोग लगेगा इसके बाद शयन आरती होगी। सोमवार सुबह फिर से रथ खींचे जाएंगे और शाम तक गुंडिचा मंदिर पहुंच जाएंगे।
भगवान कुछ दिन अपनी मौसी के घर रहेंगे
वहीं, इस स्थान को नीलांचल, नीलगिरी और शाकक्षेत्र जैसे नामों से भी जाना जाता है। इस रथयात्रा में नगर भ्रमण करने के लिए भगवान जगन्नाथ का रथ, देवी सुभद्रा का रथ और भगवान बलभद्र का रथ निकाला जाता है। फिर गुंडिचा माता के मंदिर में प्रवेश करेंगे जहां पर कुछ दिनों के लिए रहेंगे। जो भगवान की मौसी का घर भी माना जाता है। यहां जानिए भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के रथ की विशेषताएं-
भगवान जगन्नाथ का 800 साल पुराना मंदिर है और यहां भगवान जगन्नाथ विराजते हैं। वहीं इसमें भगवान जगन्नाथ के साथ दो और रथ शामिल होते हैं। इनमें से एक में उनके भाई बलराम और दूसरे में बगन सुभद्रा होती हैं। इस तरह इस दिन कुल तीन देवताओं की यात्रा निकलती हैं। सबसे आगे बलराम का रथ, बीच में बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है।
100 यज्ञों के बराबर पुणय का फल मिलता हैं
धार्मिक पुराणों के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की इस रथयात्रा में शामिल होने से 100 यज्ञों के बराबर पुण्य का फल मिलता है। यही कारण भी है कि दुनियाभर से लोग इस यात्रा में शामिल होने पहुंचते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं।
इसके अलावा, रथ यात्रा के दौरान नवग्रहों की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने मात्र से ही अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है और शुभ ग्रहों का प्रभाव बढ़ता है।