Pradosh Vrat 2024 : पौष माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 23 जनवरी, मंगलवार के दिन रखा जाएगा. मंगलवार के दिन पड़ने के चलते इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। माना जाता है कि जो भक्त मान्यतानुसार प्रदोष व्रत के दिन महादेव के लिए उपवास रखते हैं और प्रदोष व्रत की पूजा करते हैं उनपर भोलेनाथ की विशेष कृपादृष्टि पड़ती है। पंचांग के अनुसार, भौम प्रदोष व्रत की खास मान्यता है और कहते हैं इस व्रत को रखने पर कर्जमुक्ति मिलती है। आरोग्य का वरदान मिलता है और घर में खुशहाली आती है। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते इस दिन बजरंगबली की पूजा भी कर सकते हैं। इससे मंगल दोष भी दूर होता है।
प्रदोष व्रत कब से है
इस माह का पहला प्रदोष व्रत बीती 9 जनवरी के दिन रखा गया था। पौष माह के प्रदोष के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 22 जनवरी सोमवार की शाम 7 बजकर 51 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन अगले साल 23 जनवरी, मंगलवार को रात 8 बजकर 39 मिनट पर हो जाएगी। ऐसे में प्रदोष व्रत की पूजा रात के समय प्रदोष काल में होती है। प्रदोष काल का समय सूर्यास्त रात्रि में होता है। शाम 5 बजकर 52 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक प्रदोष काल है। इस शुभ मुहूर्त में शिव पूजा की जा सकेगी।
प्रदोष व्रत में शिव पूजा
भौम प्रदोष व्रत के दिन स्नान करने के बाद सफेद या नारंगी कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। इसके बाद बेलपत्र के पेड़ पर जल चढ़ाना शुभ माना जाता है या बेलपत्र को पूजा में शामिल किया जाता है। दिनभर शिव स्मरण किया जाता है और शिव भजन आदि सुने जाते हैं। सुबह के समय शिव मंदिर भी जाया जा सकता है। रात के समय शिव पूजा होती है और पूजा में केसर वाले दूध से शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं। पूजा सामग्री में भांग, भस्म, बेलपत्र आदि शामिल किए जाते हैं और भोग में सफेद मिठाई या खीर अर्पित की जाती है। आरती के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है।