कनाडा का परमानेंट रेजिडेंसी (PR) हासिल करना आसान नहीं रहने वाला है। अब कनाडा जाने की सोच रहे स्टूडेंट्स को झटका लगने वाला है, क्योंकि सरकार एक्सप्रेस एंट्री प्रोग्राम के लिए कॉम्प्रिहेंसिव रैंकिंग सिस्टम (CRS) से लेबर मार्केट इम्पैक्ट असेसमेंट (LMIA) स्कोर को हटाने पर विचार कर रही है।
बता दें कि LMIA एक डॉक्यूमेंट है, जिसके जरिए एक कंपनी/नियोक्ता ये साबित करता है कि उसे जॉब के लिए कनाडाई कर्मचारी नहीं मिल और अब उसे विदेशी वर्कर रखना पड़ा है।
लेकिन वर्तमान में LMIA के जरिए मिली नौकरी हासिल करने से आवेदक के CRS स्कोर में 50 अंक जुड़ जाते हैं। इससे परमानेंट रेजिडेंसी (PR) हासिल करने की उनकी संभावना भी काफी ज्यादा बढ़ जाती है। एक्सप्रेस एंट्री प्रोग्राम के जरिए परमानेंट रेजिडेंसी उन्हीं लोगों को दी जाती है, जिनका CRS स्कोर अच्छा होता है।
इसके कारण CRS स्कोर बढ़ जाता
वर्क एक्सपीरियंस, अंग्रेजी भाषा पर पकड़, उम्र, एजुकेशनल क्वालिफिकेशन जैसे फैक्टर्स के आधार पर CRS स्कोर बढ़ता जाता है। मगर अब सीधे तौर पर 50 प्वाइंट्स का नुकसान हो सकता है।
सरकार का उद्देश्य LMIA प्वाइंट्स को हटाकर
आवेदन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना
फर्जी जॉब ऑफर्स पर लगाम लगाना
सभी आवेदकों को समान अवसर प्रदान करना है।
स्टूडेंट्स पर इसका प्रभाव
LMIA आधारित नौकरियों पर निर्भर रहने वाले स्टूडेंट्स को अब अपनी प्रोफाइल मजबूत करने के लिए दूसरे तरीकों की तलाश करनी होगी। इसमें भाषा कौशल, कनाडाई वर्क अनुभव, और शैक्षिक प्रमाणपत्र शामिल हैं।
LMIA के बिना, कई कंपनियां विदेशी वर्कर्स को नियुक्त करने से बच सकती हैं, जिससे स्टूडेंट्स के लिए नौकरी पाना मुश्किल हो सकता है।
क्या करना चाहिए?
IELTS या CELPIP जैसे टेस्ट में स्कोर बढ़ाने पर ध्यान दें। साथ ही कनाडाई वर्क एक्सपीरियंस प्राप्त करने के लिए पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट (PGWP) का उपयोग करें। शिक्षा और अनुभव को प्राथमिकता देकर CRS स्कोर बढ़ाने की रणनीति अपनाएं।
यह बदलाव उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जो LMIA पर निर्भर थे। हालांकि, यह योग्य आवेदकों को समान और पारदर्शी अवसर प्रदान करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है।