Shatrunjay Tirth Not Only Hindus But Muslims Also Worship Here : अपनी अनोखी विविधताओं से हर किसी को हैरान कर देने वाला भारत अद्भुत देश है। यह दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जहां कहीं किसी इमारत के बनने की अजब-गजब कहानी सुनाई दे जाती है, तो कोई जगह अपने इतिहास को लेकर दुविधा में डाल देती है। जीहां, अब आप यही देख लीजिए क्या आप जानते थे भारत में एक ऐसी पहाड़ी भी है, जिसपर एक-दो नहीं बल्कि 900 मंदिर बने हुए हैं। सुनकर ही हैरान रह गए गए और सोच रहे हैं आखिर इतने मंदिर यहां बने कैसे? दिलचस्प बात तो ये है, पर्वत सनातन धर्म में इतना खास है कि यहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। यही नहीं, ये जगह मुस्लिम धर्म के लोगों में भी बेहद खास है। चलिए आपको इस पर्वत के बारे में कुछ और दिलचस्प बातें बताते हैं।
यहां बना है ये अनोखा पर्वत
पर्वत गुजरात के भावनगर जिले के पालीताना इलाके में स्थित है। जितना खूबसूरत ये स्थान है, उतना ही बढ़िया यहां का नाम है। 'शत्रुंजय पर्वत' से प्रसिद्ध इस जगह का नाम यहां से गुजरने वाली शत्रुंजय नदी की वजह से रखा गया है। भावनगर से इस पर्वत की दूरी करीबन 50 किमी है। आज के समय में ये पर्वत हजारों-लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का एक बड़ा केंद्र बन चुका है। बता दें, हर साल यहां काफी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
कब किया था इसका निर्माण
माना जाता है कि इस पर्वत पर जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने ध्यान किया था। साथ ही अपना पहला उपदेश भी उन्होंने इसी जगह पर दिया था। हजारों रोचक बातों के बीच दिलचस्प चीज यहां के 900 मंदिर हैं, जो पर्वत पर बने हुए हैं। यहां तक पहुंचने के लिए करीबन 3000 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। कहते हैं, जैनियों के 24 में से 23 तीर्थंकर इस पर्वत पर ध्यान लगाने आए थे। जिसकी वजह से जैन कम्युनिटी में इस स्थान को लेकर बेहद मान्यता है।
यह जगह क्यों है इतनी खास
इतने अधिक मंदिर होने के कारण यह पर्वत लोगों की आस्था का महत्वपूर्ण स्थान है। संगमरमर से बने 900 मंदिरों का निर्माण 11वीं सदी में किया गया था। जानकारी के अनुसार, मंदिरों की नक्काशियां इतनी खूबसूरत हैं कि देखने वाला मोहित हो उठता है। वहीं, सुबह का नजारा तो और भी ज्यादा हसीन है। जब सूर्य की किरणें यहां पड़ती हैं, तब मंदिर सोने की तरह चमक उठते हैं। वहीं रात में चंद्रमा की रोशनी इन्हें मोतियों की तरह दिखा देती हैं।
मुस्लिम लोगों की भी खास
कहते हैं इन मंदिरों का निर्माण 900 साल पहले किया गया था और आज भी इसकी मान्यता इतनी है, लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन पर्वत पर हजारों की संख्या में इकट्ठा होते हैं। बता दें, मंदिर परिसर में मुस्लिम संत अंगार पीर की मजार भी बनी हुई है। ऐसा कहते हैं, इन्होने मुगलों से शंत्रुजय पहाड़ी की रक्षा की थी। इसी लिए संत अंगार पीर को मानने वाले मुस्लिम भी इस पर्वत पर आते हैं और मजार पर मत्था टेककर जाते हैं। मौका मिले तो आप भी एक बार यहां जरूर जाएं।