Modi cabinet approves new income tax bill, will be presented in parliament next week : केंद्रीय मंत्रिमंडल यानि मोदी कैबिनेट ने नए इनकम टैक्स बिल को मंजूरी दे दी। सूत्रों के अनुसार अगले सप्ताह इस नए आयकर विधेयक को मंजूरी के लिए संसद में पेश करने वाली है और इसके बाद वित्तीय स्थायी समिति को भेजा जाएगा। संसद में मंजूरी मिलने के बाद यह बिल छह दशक पुराने आईटी अधिनियम की जगह लेगा। नया बिल इनकम टैक्स से जुड़े उन सभी संशोधनों और धाराओं से मुक्त होगा जो अब प्रासंगिक नहीं हैं। साथ ही भाषा ऐसी होगी कि लोग इसे टैक्स एक्सपर्ट की सहायता के बिना समझ सकें। इस बिल में प्रावधान और स्पष्टीकरण या कठिन वाक्य नहीं होंगे। इससे मुकदमेबाजी कम करने में भी मदद मिलेगी और इस तरह विवादित टैक्स डिमांड में कमी आएगी।
नया टैक्स का बोझ नहीं डालना
बता दें मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे इस नए इनकम टैक्स कानून का उद्देश्य कई महत्वपूर्ण बदलाव लाना है। इसका उद्देश्य प्रत्यक्ष कर कानून को समझने में सरल बनाना है और टैक्स पेयर्स पर कोई नया टैक्स का बोझ नहीं डालना है। कोई नया कर बोझ नहीं डालना है। विभिन्न क्षेत्रों के हितधारक नए इनकम टैक्स के प्रवाधानों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि ये टैक्स से जुड़े कई मुद्दों को आसान बनाएगा।
अब संसद में किया जाएगा पेश
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने नये बिल को मंजूरी दे दी है। अब नया बिल अगले सप्ताह संसद में पेश किया जाएगा और इसे संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा। संसद के मौजूदा बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी को खत्म हो रहा है। सत्र 10 मार्च को फिर शुरू होगा और चार अप्रैल तक चलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2 फरवरी को बजट 2025-26 में घोषणा की थी कि ये बिल संसद में पेश किया जाएगा।
इन्टरनल कमेटी की स्थापना
बता दें वित्ती मंत्री ने मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट को पेश करते हुए जुलाई 2024 में आयकर अधिनियम, 1961 की समीक्षा करवाए जाने की घोषणा की थी। इसके बाद सीबीडीटी ने आयकर अधिनियम, 1961 की समीक्षा और बिल को छोटा, स्पष्ट और समझने में आसान बनाने के लिए एक इन्टरनल कमेटी की स्थापना की थी। नए आयकर अधिनियम के तमाम पहलुओं की समीक्षा के लिए 22 अतितिरक्त सब कमेटियां भी बनाई गई थीं।
क्यों पड़ी नए बिल की जरूरत
दरअसल, इनकम टैक्स लॉ लगभग 60 साल पहले 1961 में बनाया गया था और तब से समाज में, लोगों के पैसे कमाने के तरीके और कंपनियों के कारोबार करने के तरीके में बहुत सारे बदलाव हुए हैं। समय के साथ आयकर अधिनियम में संशोधन किए गए। देश के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में तकनीकी प्रगति और बदलावों को देखते हुए, पुराने आयकर अधिनियम को पूरी तरह से बदलने की सख्त जरूरत है।
टैक्स स्लैब में भी बदलाव होगा
नए बिल के लागू करने का मकसद भाषा और अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। कहने का मतलब है कि नए कानून में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव की संभावना नहीं है, क्योंकि यह आमतौर पर वित्त अधिनियम के माध्यम से किया जाता है। बता दें कि साल 2010 में 'प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक, 2010' संसद में पेश किया गया था। इसे जांच के लिए स्थायी समिति के पास भेजा गया था। हालांकि, 2014 में सरकार बदलने के कारण विधेयक निरस्त हो गया।