खबरिस्तान नेटवर्क : लगातार बदल रही दुनिया और भाग-दौड़ भरे माहौल में लोगों को अक्सर अपनी नींद से समझौता करना पड़ता है। बता दें कि ऑफिस और घर के कामों से जुड़ी भागदौड़ हो या डेडलाइन पर काम खत्म करने की टेंशन, इसका सीधा प्रभाव लोगों की नींद पर पड़ता है। लेकिन क्वालिटी स्लीप की कमी या जरूरत से कम समय तक सोना आपके स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक साबित हो सकता है। आपको बताते हैं रोजमर्रा के जीवन में अच्छी नींद का महत्व और नींद से जुड़ी समस्याओं को कम करने के तरीके-
ठीक तरह से ना सो पाने के कारण -
स्लीप साइकिल
हमारी नींद का चक्र या स्लीपिंग साइकल मुख्यत: 2 हिस्सों में बांटा जाता है पहला, एनआरईएम (non-rapid eye movement) और दूसरा आरईएम ( rapid eye movement) चरण होता है। ये दोनों ही स्थितियां आपकी नींद और आपकी ओवरऑल हेल्थ पर असर डाल सकती हैं।
- एनआरईएम स्लीप पैटर्न (NREM Sleep)
यह नींद का महत्वपूर्ण चरण है जो बाद में 4 चरणों में बांटा जाता है। हर चरण का अपना महत्व और फायदा है। नींद के पहले चरण में जहां बहुत अधिक आराम महसूस होता है।वहीं, स्टेज 3 और 4 में मध्यम स्तर की नींद आती है। ये सभी चरण शरीर को होने वाले डैमेज से रिकवरी और विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं।
- आरईएम स्लीप पैटर्न (NREM Sleep)
नींद के इस हिस्से में ही हम सपने देख पाते हैं। इसे रैपिड आई मूमेंट स्टेज कहते हैं। यह हमारी मेमरी और भावनात्मक संतुलन (emotional regulation) के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। साथ ही इसी स्टेज पर हमारे ब्रेन में जानकारियों के संचय जैसी प्रक्रियाएं भी होती हैं। इस तरह आरईएम स्लीप पैटर्न आपको भावनात्मक स्तर पर अधिक मजबूत बनाता है और मेमरी को भी बढ़ाता है।
नींद से जुड़ी कॉमन समस्याएं -
अनिद्रा में लोगों की नींद बार-बार टूटती है
यह नींद से जुड़ी एक गड़बड़ी या डिसॉर्डर है जिसमें लोगों की नींद बार-बार टूटती है और वे ज्यादा समय के लिए सो नहीं पाते। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे- तनाव, एंग्जायटी या किसी दवा का साइड-इफेक्ट आदि। अनिद्रा से राहत के लिए आपको किसी विशेषज्ञ या प्रोफेशनल की मदद लेनी पड़ सकती है।
स्लीप एप्निया में सोते समय लोगों की सांस उखड़ने लगती है
इस स्थिति में सोते समय लोगों की सांस उखड़ने लगती है। ठीक से सांस न ले पाने की यह समस्या उन्हें बार-बार हो सकती है। इसमें जोर-जोर से खर्राटे लेना, दिन में नींद और सुबह उठने के बाद तेज सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं, स्लीप एप्निया की समस्या गम्भीर होने पर कार्डियोवैस्कुलर डिजिजेज, स्ट्रोक और अन्य गम्भीर स्थितियों का रिस्क बढ़ सकता है।
गहरी नींद सोने के टिप्स
करें मेडिटेशन
अगर आपको रात में गहरी नींद से सोना है, तो प्रतिदिन मेडिटेशन का अभ्यास करना शुरू कर दें। एक शांत और एकांत जगह पर आप बैठकर मेडिटेशन कर सकते हैं। मेडिटेशन से दिमाग रिलैक्स होता है। तनाव कम होता है। मन से नेगेटिव और व्यर्थ के विचारों को बाहर निकालने में मदद करता है। अगर किसी को इन्सोम्निया की समस्या है, तो प्रतिदिन 15 से 20 मिनट मेडिटेशन ज़रूर करें।
लैवेंडर के तेल से मसाज करें
वर्षों से लैवेंडर के तेल को इन्सोम्निया की समस्या को दूर करने के लिए यूज किया जा रहा है। यह तेल मन-मस्तिष्क को शांत का अहसास कराता है। इस तेल के सैशे को रात में तकिया के नीचे रखकर सोएं। अपने रूमाल पर दो से तीन बूंदें लैवेंडर ऑयल को स्प्रे कर दें या फिर नहाने के पानी में भी कुछ बूंदें डाल सकते हैं। इसे रात में नींद अच्छी आएगी।
डाइट में शामिल करें मैग्नीशियम
मैग्नीशियम की कमी से भी स्ट्रेस बढ़ता है। यह एक प्राकृतिक रूप से पाया जाना वाला मिनरल है, जो मांसपेशियों को रिलैक्स करता है। इससे नींद अच्छी आती है। साबुत गेहूं, पालक, डार्क चॉकलेट, दही, एवोकाडो आदि का सेवन करें। प्रतिदिन कम से कम 400 मिलीग्राम पोटैशियम का सेवन स्वस्थ नींद को बढ़ावा देता है।
स्लीप हाइजीन है ज़रूरी
यदि आप चाहते हैं कि आपको अच्छी और सुकून भरी नींद आए, ताकि आप सुबह फ्रेश मूड में उठकर अपने ऑफिस और घर के कार्यों को पूरा कर पाएं, तो कुछ स्लीप हाइजीन को मेंटेन करें। इसके तहत आपको जीवनशैली में कुछ बदलाव लाने होंगे। इसमें कैफीन, एल्कोहल, धूम्रपान आदि का सेवन कम करना होगा। हर दिन एक्सरसाइज करनी होगी। साथ ही जिस कमरे में आप सोते हैं, वहां का वातावरण खुशनुमा, तन-मन को रिलैक्स और दिमाग को शांति देने वाला हो।
पिएं बादाम वाला दूध
मेलाटोनिन सप्लिमेंट्स भी इन्सोम्निया की समस्या दूर कर अच्छी नींद लेने में मदद करता है। मेलाटोनिन नींद की गुणवत्ता को बढ़ाता है। इससे जल्दी सोने में मदद मिलती है। बादाम के दूध में कैल्शियम की मात्रा अच्छी होती है, जो मस्तिष्क को मेलाटोनिन बनाने में मदद करती है. रात में सोने से पहले एक गिलास गर्म बादाम वाला दूध पीने से अनिद्रा से राहत मिलती है।