पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक देश-एक चुनाव को लेकर उच्च स्तरीय कमेटी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पन्नों की रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट को बनाने के लिए 2 सितंबर 2023 को एक कमेटी का गठन किया गया था। इस रिपोर्ट में बताया गया कि एक देश-एक चुनाव पर 47 राजनीतिक दलों ने कमेटी को अपनी राय दी। इनमें से 32 ने पक्ष में और 15 ने विपक्ष में अपनी राय रखी है।
जानें क्या है वन नेशन वन इलेक्शन?
सीधे शब्दों में कहें तो इसका मतलब ये है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में केंद्र और राज्य प्रतिनिधियों को चुनने के लिए भारतीयों को उसी समय या फिर उसी साल वोट करना होगा। वर्तमान में भी कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जो उसी समय नई राज्य सरकार के लिए वोट करने वाले हैं। जब देश नई केंद्र सरकार का चयन कर रहा होता है।
दरअसल आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा में अप्रैल/मई में लोकसभा चुनाव के साथ ही वोटिंग होनी है। बता दें कि महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में इस साल के अंत में चुनाव होगा। वहीं केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य का दर्जा देने और 30 सितंबर तक चुनाव करवाने के निर्देश दिए हैं। कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना की बात करें तो पिछले साल अलग-अलग समय पर वोटिंग हुई थी।
लागू करने से पहले क्या कुछ करना होगा
वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मसलन सबसे पहले इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। लोकसभा का कार्यकाल या तो बढ़ाना होगा या फिर तय समय से पहले इसे खत्म करना होगा। इतना ही नहीं कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाना भी पड़ सकता है।
जबकि कुछ विधानसभा का कार्यकाल समय से पहले खत्म करना होगा। इसे लागू करने से पहले सभी दलों में आम राय बनाना जरूरी है। हालांकि वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर चुनाव आयोग पहले ही कह चुका है कि वह इसके लिए तैयार है।
जानिए कैसे करेगा यह काम
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी के पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराने का था। इसके बाद 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की है।
इस कमेटी ने अपनी सिफारिशों में कहा कि त्रिशंकु स्थिति या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी स्थिति में नई लोकसभा के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं। लोकसभा के लिए जब नए चुनाव होते हैं, तो उस सदन का कार्यकाल ठीक पहले की लोकसभा के कार्यकाल के शेष समय के लिए ही होगा।
कमेटी ने यह भी सिफारिश की कि भारत इलेक्शन कमिशन स्टेट इलेक्शन अधिकारियों के साथ विचार करके एक वोटर्स लिस्ट और वोटर कार्ड तैयार करे। इसके लिए वोटर्स लिस्ट से संबंधित आर्टिकल 325 को संशोधित किया जा सकता है।
फिलहाल भारत इलेक्शन कमिशन पर लोकसभा और विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी है। जबकि नगर निकायों और पंचायत चुनावों की जिम्मेदारी स्टेट इलेक्शन कमिशन पर है। बता दें कि वन नेशन वन इलेक्शन को पीएम मोदी की समर्थन है और यह साल 2019 लोकसभा चुनावों के बीजेपी घोषणापत्र का हिस्सा भी था।