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Tantric University : ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से समृद्ध है जबलपुर का चौसठ योगिनी मंदिर, भगवान भोलेनाथ से है खास कनेक्शन


Tantric University : ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से समृद्ध है जबलपुर
2/24/2025 4:00:03 PM         Raj        Tantric University, mahashivratri 2025, mahashivratri, mahashivratri news, chausath yogini temple jabalpur, chausath yogini temple, tantrik university, lord shiva temple, चौसठ योगिनी मंदिर, जबलपुर न्यूज, तांत्रिक यूनिवर्सिटी, जबलपुर की तांत्रिक यूनिवर्सिटी, महाशिवरात्रि, महाशिवरात्रि 2025,              

Jabalpur Chausath Yogini temple is rich in historical and religious terms, has a special connection with Lord Bholenath : मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से समृद्ध है। महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है। जबलपुर का चौसठ योगिनी मंदिर इस पर्व के संदर्भ में विशेष महत्त्व रखता है, क्योंकि यहां भगवान शिव और माता पार्वती की विवाह प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा पूरे भारत में अपनी तरह की अकेली प्रतिमा मानी जाती है। महाशिवरात्रि के दिन यहां विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। 

9वीं शताब्दी का है और शक्ति उपासना का प्रतीक 

चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर के भेड़ाघाट क्षेत्र में स्थित है, जो नर्मदा नदी के किनारे संगमरमर की चट्टानों के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर 9वीं शताब्दी का है और शक्ति उपासना का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर को तांत्रिकों की यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है, क्योंकि प्राचीन काल में यहां तंत्र-मंत्र की शिक्षा दी जाती थी। 

देश-विदेश से साधक तंत्र साधना की विद्या अर्जित 

कहा जाता है कि देश-विदेश से साधक इस स्थान पर आकर तंत्र साधना की विद्या अर्जित करते थे। इस मंदिर का निर्माण कलचुरी राजाओं ने करवाया था, जिनकी राजधानी तेवर नामक स्थान पर स्थित थी। भेड़ाघाट का क्षेत्र उस समय ‘त्रिपुरी’ के नाम से जाना जाता था और शक्ति संप्रदाय का केंद्र था। 

मंदिर में 64 योगिनियों की प्रतिमाएं स्थापित हैं

चौसठ योगिनी मंदिर में 64 योगिनियों की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जिनमें से वर्तमान में केवल 61 मूर्तियां ही सुरक्षित रह पाई हैं। इन योगिनियों को देवी दुर्गा का रूप माना जाता है। पहले यहां केवल सात मातृकाएं थीं, लेकिन कालांतर में संख्या 64 हो गई, जिसके कारण इस मंदिर का नाम चौसठ योगिनी मंदिर पड़ा।

भगवान शिव और माता पार्वती की अनोखी प्रतिमा

चौसठ योगिनी मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भगवान शिव और माता पार्वती की एक अनूठी प्रतिमा विराजमान है, जिसमें दोनों नंदी पर एक साथ बैठे हुए हैं। इस प्रकार की मूर्ति पूरे भारत में कहीं और नहीं देखी जाती। यह प्रतिमा इस तथ्य को दर्शाती है कि यह स्थान शिव-पार्वती विवाह से जुड़ा हुआ है। 

नर्मदा नदी का आकर्षण और चौसठ योगिनी मंदिर

नर्मदा नदी इस क्षेत्र का प्रमुख धार्मिक और प्राकृतिक आकर्षण है। मंदिर के प्रांगण से नर्मदा का विहंगम दृश्य दिखाई देता है, जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वह संगमरमर की चट्टानों की गोद में विश्राम कर रही हो। यह भी कहा जाता है कि नर्मदा ने इस मंदिर के लिए अपनी धारा बदली थी। 

एक ऊंची सी पहाड़ी पर विश्राम करने का निश्चय 

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव और माता पार्वती इस क्षेत्र में भ्रमण कर रहे थे। तब उन्होंने एक ऊंची सी पहाड़ी पर विश्राम करने का निश्चय किया। यहां सुवर्ण नामक ऋषि तपस्या कर रहे थे, जो भगवान शिव के दर्शन पाकर अत्यंत प्रसन्न हो गए। 

सुवर्ण नामक ऋषि ने भगवान शिव से की विनती 

उन्होंने भगवान शिव से विनती की कि जब तक वे नर्मदा का पूजन कर लौटें। तब तक शिव वहीं विराजमान रहें। जब ऋषि सुवर्ण नर्मदा पूजन कर रहे थे, तब उनके मन में यह विचार आया कि यदि भगवान शिव सदा के लिए इसी स्थान पर विराजमान हो जाएं तो इस भूमि का कल्याण होगा। 

संगमरमर की कठोर चट्टानें मक्खन जैसी मुलायम

इसी कारण उन्होंने नर्मदा में समाधि ले ली। कहा जाता है कि भगवान शिव ने भक्तों की सुविधा के लिए नर्मदा को अपना मार्ग बदलने का आदेश दिया, जिससे संगमरमर की कठोर चट्टानें भी मक्खन की तरह मुलायम हो गईं और नदी को नया मार्ग प्राप्त हो गया।

चौसठ योगिनी मंदिर की वास्तुकला और विशेषताएं

मंदिर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में है और अनूठी वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह मंदिर पूरी तरह से बलुआ पत्थर और लाल पत्थरों से निर्मित है, जो हजारों वर्षों से मौसम की मार सहकर भी सुरक्षित खड़े हैं। मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं- एक नर्मदा नदी के तट से आता है, जो दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है।

तत्कालीन शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं

दूसरा प्रवेश द्वार पंचवटी घाट से धुआंधार जलप्रपात की ओर जाने वाले मार्ग से जुड़ता है। मंदिर के चारों ओर बनी 64 योगिनियों की मूर्तियां अलग-अलग मुद्राओं में स्थापित हैं और विभिन्न देवी-शक्तियों का प्रतीक मानी जाती हैं। इन मूर्तियों के चेहरे, आभूषण और मुद्राएं तत्कालीन शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं।

महाशिवरात्रि पर मंदिर में विशेष पूजन व अभिषेक 

महाशिवरात्रि के दिन चौसठ योगिनी मंदिर में विशेष पूजन और अभिषेक किया जाता है। हजारों श्रद्धालु इस दिन यहां एकत्रित होते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। इस अवसर पर शिवलिंग का दुग्धाभिषेक किया जाता है और मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। 

इतिहास, वास्तुकला और तंत्र-साधना का संगम है

जबलपुर स्थित चौसठ योगिनी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि इतिहास, वास्तुकला और तंत्र-साधना का संगम है। यह मंदिर न केवल भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की अनूठी प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि तांत्रिक शिक्षा और साधना के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। 

महाशिवरात्रि की रात को जागरण किया जाता यहां

महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां की भव्य पूजा-अर्चना और भक्तों का उत्साह इस स्थल के धार्मिक महत्व को और अधिक बढ़ा देता है। शिवरात्रि की रात को जागरण किया जाता है और भक्तजन भगवान शिव की आरती में भाग लेते हैं।

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