It took 20 years to build Taj Mahal, a symbol of love : दुनिया के सात अजूबों में से एक अजूबा और प्रेम का प्रतीक ताजमहल आज बहुत प्रसिद्ध हैं, जोकि भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित है। आगरा में स्थित ताजमहल जिसे प्यार की निशानी कहा जाता है, को शाहजहाँ ने बनाया था। उन्होंने इस खूबसूरत इमारत को अपनी रानी मुमताज की याद में बनवाया था जिसे बनाने के लिए लाल पत्थर और सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया था। बता दें 5वें मुगल साम्राज्य के शासक शाहजहाँ के काल 1526 से वर्ष 1761 तक में वर्ष 1653 में करवाया था।
दुनिया के 7वें अजूबे Tajmahal बनाने में 20 साल
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि शाहजहां ने मुस्लिम मुमताज की याद में बनाया था। साथ ही ताजमहल को बनाने में कई दिन का समय लगा था। शाहजहाँ ने मुख्य मिस्त्री को पाकिस्तान से बुलाया था। कश्मीर के राम लाल को बगीचे बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। बिल्डिंग को बनाने में करीब 3.2 करोड़ रुपए का खर्च आया था। बेशकीमती पत्थरों को अफगानिस्तान, मिस्र, रूस, तिब्बत, ईरान जैसे देशों से लाया गया था।
ताजमहल की डिजाइन कालामहल से ली गई थी
कहा जाता है कि शाहजहाँ ने मध्य प्रदेश के 'काला महल' से ही ताजमहल (Tajmahal) की डिजाइन को लिया था। 'काला महल' असल में मध्य प्रदेश के बुरहानपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 7 किमी की दूरी पर शाह नवाज खान का मकबरा है। इसका आधा हिस्सा काले पत्थर का और शेष कीमती पत्थर का है और चूने का बना हुआ है। शाह नवाज खान को स्थानीय लोगों के बीच साहब के नाम से जाना जाता था।
पाक के अहमद लाहौरी थे ताजमहल के मुख्य मिस्त्री
कहा जाता है कि ताजमहल (Tajmahal) बनाने वाले मुख्य मिस्त्री के हाथ काट दिए गए थे लेकिन क्या आपको पता है कि ये मिस्त्री कौन थे। उन मिस्त्री ने इस इमारत को इतना खूबसूरत बनाया कि आज भी विदेशी पर्यटक आगरा में इसे देखने आते हैं। उन्होंने ताजमहल को बनाने की जिम्मेदारी उस्ताद अहमद लाहौरी को सौंपी थी। लाहौरी पाकिस्तान के लाहौरी में रहने वाले थे। अहमद लाहौरी शाहजहां के दरबार का हिस्सा बनने के लिए लाहौर से दिल्ली आए थे।
इतिहास के दस्तावेज़ में अहमद लाहौरी का ज़िक्र नहीं
उस्ताद अहमद लाहौरी ने जब ताजमहल बनाया तो उनकी खूबसूरती देखकर शाहजहां खुश हुए थे। उन्होंने लाहौरी अहमद को 'नादिर-उल-असर' की उपाधि से नवाजा था। हालाँकि इतिहास के दस्तावेज़ में अहमद लाहौरी का ज़िक्र नहीं है, लेकिन इतना ज़रूर है कि उनके तीन बेटे थे और वे शाहजहाँ के दरबार का हिस्सा थे। ताजमहल (Tajmahal) बनाने वाली टीम में कारीगरों के अलावा राजमिस्त्री और सुलेखक भी शामिल थे।
कन्नौज के हिन्दू मजदूरों ने भी किया Tajmahal में काम
दुनिया के सात अजूबों में शामिल इस मकबरे को बनाने के लिए करीब 20 हजार कारीगरों का इस्तेमाल किया गया था लेकिन कभी-कभी मन में यह सवाल आ जाता है कि मजदूरों को कहां से बुलाया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक ताजमहल (Tajmahal) में ज्यादातर मजदूर कन्नौज के हिंदू थे। इसके अलावा इनमें राजमिस्त्री, पत्थर काटने वाले, चित्रकार और अन्य कलाकारों को मुगल सम्राज्य, मध्य एशिया और ईरान से लाया गया था।