इरफान खान बॉलीवुड इंडस्ट्री के सबसे मंझे हुए अभिनेता में से एक हैं। इरफान ने बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक में अपनी पहचान बनाई हैं। भले ही वह आज हमारे बीच ना हों, लेकिन लोगों के दिलों में वो हमेशा जिंदा रहेंगे। उन्होंने अपने व्यक्तिव और सिनेमाई पर्दे पर किए अभिनय के दम पर खुद को लोगों के दिलों में जिंदा रखा है। इरफान खान का जन्म 7 जनवरी 1967 को जयपुर के एक मुस्लिम पठान परिवार में हुआ था। तो चलिए जन्मदिन के इस खास मौके पर अभिनेता से जुड़ी कुछ खास बातें जानते हैं-
इरफान खान का पूरा नाम साहबजादे इरफान अली खान था। उनके पिता टायर का व्यापार करते थे। इरफान खान का शुरुआती जीवन भले ही संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन हिंदी सिनेमा में जो उन्होंने अपनी अदायगी का कमाल दिखाया है, उसे फैंस के लिए उसे भूलने में जन्म लग जाएंगे। हालांकि यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि इरफान ने सिनेमा का रास्ता काफी बाद में चुना है, उनकी सबसे पहली मोहब्बत क्रिकेट थी, लेकिन अफसोस कि वह मोहब्बत अधूरी रह गई।
इरफान को क्रिकेट का बेहद शौक था। वह क्रिकेट की दुनिया में ऑलराउंडर रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं जयपुर की टीम में वह सबसे युवा खिलाड़ी थे। इसी की बदौलत युवावस्था में उनको बीसीसीआई के एक घरेलू टूर्नामेंट सीके नायडू ट्रॉफी के लिए भी चुन लिया गया था, लेकिन 600 रुपये न होने के कारण वे इस टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाए थे। दरअसल, इरफान खान को एक शहर से दूसरे शहर इस क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए जाना था, लेकिन उस समय उनके पास पैसे नहीं थे।
इस बात का खुलासा इरफान ने साल 2014 में दिए एक इंटरव्यू में किया था। उन्होंने बताया था कि वह 600 रुपयों के लिए किसी से नहीं पूछ सकता था। क्योंकि जब नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) के लिए 300 रुपयों की जरूरत थी, उसे जुटाना उनके लिए कठिन था। आखिरकार उनकी बहन ने उनके लिए पैसे जुटाए थे। इसी वजह से उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
इरफान खान ने हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। उन्होंने अंग्रेजी मीडियम, हिंदी मीडियम, द लंच बॉक्स, पीकू, बिल्लू बारबर, करीब करीब सिंगल, मदारी, मकबूल, हैदर, रोग, हासिल, थैंक यू, साहब बीवी और गैंगस्टर, सलाम बॉम्बे जैसी बेहतरीन फिल्मों में भी काम किया है। इरफान खान को पहले कैंसर हुआ और जब वह कैंसर से ठीक होकर घर लौटे, तो 29 अप्रैल, 2020 को कोलन इंफेक्शन ने उनकी जान ले ली। इरफान खान का जाना उनके चाहने वालों को आज भी खलता है।