ख़बरिस्तान नेटवर्क, नई दिल्ली : देश का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 LVM3 रॉकेट श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। भारत का तीसरा मून मिशन करीब 40-50 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग करेगा। चंद्र मिशन साल 2019 के 'चंद्रयान-2' का फॉलोअप मिशन है। भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का है। 'चंद्रयान-2' मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर 'विक्रम' पथ विचलन के चलते 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने में सफल नहीं हो पाया था। इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा।
आज दोपहर 2.37 बजे चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया। क्या है चंद्रयान-3 का मकसद ISRO वैज्ञानिक दुनिया को बताना चाहते हैं कि भारत दूसरे ग्रह पर सॉफ्ट लैंडिंग करा सकता है और वहां अपना रोवर चला सकता है। चांद की सतह वायुमंडल और जमीन के भीतर होने वाली हलचलों का पता करना चंद्रयान-3 का मकसद है। इसके लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल में कुल मिलाकर छह पेलोड्स जा रहे हैं। पेलोड्स यानी ऐसे यंत्र जो किसी भी तरह की जांच करते हैं। लैंडर में (Rambha LP), इल्सा (ILSA), चास्टे (ChaSTE) लगा है। रोवर में (APXS) और लिब्स (LIBS) लगा है। प्रोपल्शन मॉड्यूल में एक पेलोड्स शेप लगा है।
अंतरिक्ष में सेवाओं के मामले में पांचवे नंबर पर भारत
अंतरिक्ष में सेवाएं देने वाली कंपनियों के मामले में पहले नंबर पर अमेरिका, दूसरे नबंर पर चीन, तीसरे नंबर पर जापान और चौथे नंबर पर ब्रिटेन है। पांचवें नंबर पर भारत है, जहां 400 से ज्यादा कंपनियां स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लगातार काम कर रही हैं। जिस तेजी से भारत में स्टार्ट-अप्स शुरू हो रहे हैं, उसे देखते हुए अनुमान है कि जल्द ही भारत अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच जाएगा।