ख़बरिस्तान नेटवर्क : चारधाम यात्रा इस बार 30 अप्रैल से शुरू हो गई है। इस दौरान केदारनाथ यात्रा के लिए लाए जा रहे घोड़ों और खच्चरों में एक्वीन इन्फ्लूएंजा वायरस की शिकायतों के बाद पशुपालन सचिव ने अधिकारियों के साथ बैठक कर घोड़ों और खच्चरों के संचालन पर 24 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।
2 दिन में हुई 14 कि मौत
बता दे कि दो दिन के अंदर 14 घोड़ा खच्चरों की मौत हो चुकी है, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। साथ ही पशु संचालकों को चेतावनी दी गई है कि वह पशुओं का संचालन बिल्कुन न करें। अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ एक्शन भी लिया जाएगा।
क्या है एक्वाइन इन्फ्लूएंजा
एक्वाइन इन्फ्लूएंजा के दौरान आंखों में पानी आना, नाक से पानी बहना, छिंकना, खांसना एवं बुखार के लक्षण प्रमुख होते है। वहीं पशु पालन सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम का कहना है कि इसी तरह की स्थितियों में 2010 में यात्रा को रोका गया था। हालांकि इस बार यात्रा को नहीं रोकेंगे। हम हर तरह के सुरक्षा उपाय अपना रहे हैं। जो घोड़े संक्रमित होंगे उन्हें यात्रा से अलग क्वारंटाइन में रखा जा रहा है।
चारधाम यात्रा का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में चारधाम यात्रा को बहुत जरूरी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, चारों धाम की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण हिंदू धर्म से जुड़ा हर एक व्यक्ति कभी न कभी चारधाम की यात्रा पर जाना चाहता है। हिंदू धर्म के ये खास महत्वपूर्ण चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री उत्तराखंड में स्थित हैं। हिंदू धर्म में दो तरह की चार धामयात्रा की जाती है। एक बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा और दूसरी बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वर और द्वारका धाम की यात्रा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का आठवां वैकुंठ भी कहा जाता है। यहां भगवान विष्णु छह महीने विश्राम करने के लिए आते हैं। साथ ही केदारनाथ धाम में भगवान शंकर विश्राम करते हैं। केदारनाथ में दो पर्वत हैं, जिन्हें नर और नारायण नाम से जाना जाता है। वह भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से हैं। माना यह भी जाता है कि केदारनाथ धाम के दर्शन के बाद ही बद्रीनाथ धाम के दर्शन किए जाते हैं। ऐसा करने से ही पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।