सोशल मीडिया पर ऑडियो वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि ऑडियो गैंगस्टर गोल्डी बराड़ की है। ऑडियो में वह सिद्धू मूसेवाले की हत्या को लेकर खुलासा भी किया। ऑडियो में उसने बताया कि सिद्धू मूसेवाले को उसने आखिरी 29 मई को ही क्यों मरवाया।
सिद्धू के परिवार को शहीद कहना बंद करो
गोल्डी बराड़ ने कहा कि लोग कह रहे है कि सिद्धू मूसेवाला पंथक सोच का व्यक्ति था और उसके पिता बलकौर मूसेवाला पंजाबियों को मिस गाइड कर रहे है। जो मूसेवाला की सोच थी वहीं उसके पिता की सोच है। जब से मूसेवाला की वोट बनी है, उन्होंने कांग्रेस के अलावा किसी को वोट नहीं डाली।
1984 सहित कई सिखों के साथ बेइंसाफी के मामले आए, लेकिन मूसेवाला के पिता कह रहे है कि उन्होंने कांग्रेस के अलावा किसी ओर को वोट नहीं डाली। अगर अब भी लोग उन्हें शहीद परिवार कहना चाहते है तो वह उन लोगों की मर्जी है। पर ऐसा कहकर शहीदों की बेइज्जती न करें।
भिंडरावाले की बरसी पर सिद्धू के शो से था नाराज
गोल्डी बराड़ ने कहा कि जिस दिन मूसेवाला के ऑफिस का उदघाटन था उस दिन बेअंत सिंह का पोता रवनीत बिट्टू मानसा पहुंचा और उसने दफ्तर का उद्घाटन करवाया। उसकी फोटो आज भी सोशल मीडिया पर मिल जाएगी। यह पंथ के उल्ट चला था। मूसेवाला को शहीद कैसे कहा जा सकता है, मूसेवाला का 5 जून को दिल्ली में शो था। उस दिन संत जनरैल सिंह भिंडरावाला की बरसी होती है, लेकिन उस दिन वह शो करने वाला था।
5 जून के शो को नहीं लगना देना चाहते थे
गोल्डी ने कहा कि इस दिन कोई जन्मदिन भी नहीं मनाता है। यह शो की सारी टिकटें बुक हो चुकी थी। वह उक्त शो को नहीं लगने देना चाहते है। अगर 5 जून को वह शो लग जाता, जहां हजारों लड़कें लड़कियां शराब पीकर डांस कर रहे होते, जिसमें सिख युवक भी मौजूद होते। इस शो से कौम के लिए शर्म की बात होती।
इस कारण मूसेवाले को मारा
गोल्डी ने कहा कि जिस दिनों में कीर्तन लगने चाहिए, उस दिन मूसेवाला शो लगाने जा रहा था। 5 जून ही क्यों चुनी थी, लोगों ने इस शो का काफी विरोध भी किया था, उस समय मूसेवाला ने सोशल मीडिया पर कहा था कि उसका शो बुक हो चुका है, वह क्या भूखे मर जाए। मूसेवाला की मौत भी शायद इसलिए ही आई है। मूसेवाला को महाराज ने काफी कुछ दिया था, लेकिन इसमें फिर भी सब्र नहीं था। वह एक दिन शो को कैंसिल भी कर सकता था।
इस वजह से 29 मई को सिद्धू को मारा
गोल्डी ने कहा कि अगर 29 मई को न मरता तो 5 जून को शो लगने से कौम की काफी बेइज्जती होनी थी। मूसेवाला का SYL शहीदों को लेकर उसके मरने के बाद आया है। यह गाना उसने नहीं गाया है, क्योंकि आजकल AI के जरिए आवाज बदलकर तैयार हो जाता है। उसने कभी भी संत जनरैल का टैटू भी नहीं बनवाया था, लेकिन उसके बावजूद मूसेवाला के प्रशंसक संत जनरैल के टैटू मूसेवाला के हाथ पर लगाने के दावे कर रहे थे।