महाराष्ट्र के पुणे में पिछले कुछ दिनों में गुलेन बैरी सिंड्रोम (GBS) नामक बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बीमारी ने एक हफ्ते के भीतर 100 से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। फिलहाल 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं, और सोलापुर में इस बीमारी के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई है। हालांकि इस मौत के बारे में आधिकारिक बयान अभी तक जारी नहीं किया गया है, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक, मृतक को पुणे में संक्रमण हुआ था और फिर वह सोलापुर गया था।
गुलेन बैरी सिंड्रोम (GBS) क्या है?
गुलेन बैरी सिंड्रोम (GBS) एक ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। इसका असर पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर होता है, जो शरीर के बाकी हिस्सों से जुड़ा होता है। इस बीमारी के कारण व्यक्ति को चलने, बैठने, और यहां तक कि सांस लेने में भी कठिनाई हो सकती है। कुछ मामलों में यह बीमारी लकवे का कारण भी बन सकती है, जिससे जीवन संकट में पड़ सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की मौत का कारण
गुलेन बैरी सिंड्रोम की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह बीमारी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट की मृत्यु का कारण भी बनी थी। रूजवेल्ट को इस बीमारी के कारण लकवा हो गया था, जिससे उनके शरीर के निचले हिस्से का काम करना बंद हो गया था। हालांकि पहले इसे पोलियो से जोड़ा गया था, लेकिन बाद में शोध में पता चला कि उनकी मृत्यु का असली कारण गुलेन बैरी सिंड्रोम था।
महाराष्ट्र में बढ़ते GBS के मामले
महाराष्ट्र के पुणे में इस बीमारी के मामलों में अचानक वृद्धि देखी जा रही है। 26 जनवरी तक, GBS के कुल 101 एक्टिव मरीज थे, जिनमें से 81 पुणे से थे। 9 जनवरी को पुणे में पहला GBS मरीज सामने आया था और अब तक 68 मेल और 33 फीमेल मरीजों का इलाज चल रहा है। मरीजों में 9 साल से कम उम्र के 19 बच्चे भी शामिल हैं, जबकि 50 से 80 साल के बीच के 23 मरीज हैं। सबसे गंभीर स्थिति यह है कि पुणे में 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं, और सोलापुर में इस बीमारी के कारण एक व्यक्ति की मौत की भी खबर सामने आई है।
GBS के कारण और बैक्टीरिया का कनेक्शन
पुणे में GBS के बढ़ते मामलों के पीछे एक बैक्टीरिया, Campylobacter jejuni का संबंध पाया गया है। यह बैक्टीरिया GBS के लगभग एक तिहाई मामलों का कारण बनता है। पुणे के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि उन्होंने पानी के सैंपल भी जांचे हैं, जिसमें E. coli बैक्टीरिया की मात्रा अधिक पाई गई है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इस बैक्टीरिया से GBS के मामले सीधे जुड़े हुए हैं। अधिकारियों ने लोगों को उबला हुआ पानी पीने और ठंडे खाने से बचने की सलाह दी है।
इलाज और खर्च
GBS का इलाज महंगा है, और इसमें आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन की आवश्यकता होती है। पुणे के अस्पतालों में एक इंजेक्शन की कीमत लगभग 20,000 रुपये है। 68 साल के एक मरीज के परिजनों ने बताया कि उनके मरीज को 13 इंजेक्शन लगाने पड़े थे। हालांकि डॉक्टरों के मुताबिक GBS से पीड़ित 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी के बाद छह महीने में बिना किसी सपोर्ट के चलने-फिरने में सक्षम हो जाते हैं। लेकिन कुछ मामलों में मरीज को एक साल या उससे अधिक समय भी लग सकता है।
डिप्टी सीएम की घोषणा: मुफ्त इलाज
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार ने GBS मरीजों के मुफ्त इलाज की घोषणा की है। पिंपरी-चिंचवाड़ के मरीजों का इलाज VCM अस्पताल में होगा, जबकि पुणे नगर निगम क्षेत्र के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों के लिए पुणे के ससून अस्पताल में फ्री इलाज की व्यवस्था की जाएगी।
GBS के लक्षण
गुलेन बैरी सिंड्रोम के लक्षण तेजी से विकसित होते हैं। यह बीमारी आमतौर पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमजोरी से शुरू होती है। जैसे-जैसे स्थिति बढ़ती है, यह लकवे में बदल सकती है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:
हाथों, पैरों, टखनों या कलाई में झुनझुनी , पैरों में कमजोरी, चलने और सीढ़ियां चढ़ने में कठिनाई , बोलने, चबाने या खाना निगलने में समस्या, आंखों में डबल विजन या हिलाने में कठिनाई, मांसपेशियों में तेज दर्द, पेशाब और मल त्याग में समस्या, सांस लेने में कठिनाई, GBS के प्रकार
गुलेन बैरी सिंड्रोम के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं:
एक्यूट इंफ्लेमेटरी डेमायलीनिएटिंग पोलिरैडिकुलोन्यूरोपैथी (AIDP)
यह सबसे आम प्रकार है और इसमें नर्वस सिस्टम की माइलिन परत में सूजन होती है।
मिलर फिशर सिंड्रोम (MFS)
यह प्रकार एशिया में ज्यादा पाया जाता है और इसमें आंखों में जलन और दर्द होता है।
एक्यूट मोटर एक्सोनल न्यूरोपैथी
यह चीन, जापान और मेक्सिको में अधिक पाया जाता है।
बचाव और उपचार
GBS का सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह अक्सर किसी संक्रमण के बाद विकसित होता है, खासतौर पर श्वसन या पाचन तंत्र के संक्रमण के बाद। इस बीमारी का इलाज महंगा है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करने और मरीज की रिकवरी की प्रक्रिया को तेज करने के लिए इलाज उपलब्ध है। इलाज के लिए मुख्य उपचार विधियां हैं:
प्लाज्मा एक्सचेंज
इसमें खून के प्लाज्मा को बदलकर विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है।
इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी
इसमें एंटीबॉडी की एक खुराक दी जाती है, जो तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान से बचाती है।
फिजियोथेरेपी और पेन किलर्स
इनका उपयोग लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है।
गुलेन बैरी सिंड्रोम एक गंभीर और तेजी से बढ़ने वाली बीमारी है, लेकिन सही समय पर इलाज और पहचान से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।