भारत में सितंबर में एक वेजिटेरियन थाली की कीमत में 11% की बढ़ोतरी हुई है। वजह, सब्जियों के दामों के बढ़ना। खासकर प्याज, आलू और टमाटर की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है। क्रिसिल की मुताबिक, ब्रॉयलर यानी चिकन की कीमतों में 13% की गिरावट के कारण नॉन-वेज थाली की कीमतों में 2% की गिरावट आई है।
साल-दर-साल इतनी बढ़ी कीमतें
रिपोर्ट के मुताबिक, प्याज, आलू और टमाटर की कीमतें साल-दर-साल 53%, 50% और 18% बढ़ीं। जबकि आलू और प्याज की कीमत में कमी की वजह कम इनकम और टमाटर की इनकम थी, जो आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण उत्पादन पर असर पड़ा। वहीं, नॉन-वेज थाली की कीमत सितंबर में सालाना आधार पर 2% गिरकर 59.3 रुपए हो गई। पिछले साल सितंबर 2023 में नॉन वेज थाली की कीमत 60.7 रुपए थी।
दालों की कीमतों से भी ज्यादा
दालों की कीमतें, जो थाली की लागत का 9% हिस्सा होती हैं, पिछले साल की तुलना में 14% ज्यादा थी क्योंकि पिछले साल कम पैदावार के कारण शुरुआती स्टॉक कम था।
मसालें भी लाते हैं कीमतों में बदलाव
क्रिसिल ने नॉर्थ, साउथ, ईस्ट और वेस्ट इंडिया में मौजूदा फूड कीमतों के आधार पर घर में थाली तैयार करने की एवरेज कॉस्ट कैलकुलेट की है। मंथली चेंज से आम आदमी के खर्च पर असर पड़ता है। क्रिसिल के डेटा से अनाज, दालें, ब्रॉयलर्स (चिकन), सब्जियां, मसाले, एडिबल ऑयल और कुकिंग गैस सहित उन सामग्रियों का भी पता चलता है, जो थाली की कीमत में बदलाव लाते हैं।
वेज थाली में रोटी, सब्जियां (प्याज, टमाटर और आलू), चावल, दाल, दही और सलाद शामिल होता है। वहीं नॉन-वेज थाली के लिए दाल की जगह चिकन को शामिल किया गया है।
खरीफ की आपूर्ति में आ सकता है सुधार
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के निदेशक (शोध) पुशन शर्मा ने कहा हमें उम्मीद है कि खरीफ की आपूर्ति बाजार में आने के बाद प्याज की कीमतों में मामूली सुधार आएगा। आलू की कीमतों में भी गिरावट आने की उम्मीद है, हालांकि कम आपूर्ति के कारण टमाटर की कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं।