पृथ्वी को कल (29 सितंबर) से मिनी मून मिलने जा रहा है। वैज्ञानिकों ने इसे 2024 PT5 नाम दिया है। यह एक क्षुद्रग्रह (Asteroid) होगा, जो लगभग दो महीने तक पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। नासा ने इस की जानकारी दी है। नासा ने इस मिनी मून के बारे में बताया कि क्षुद्रग्रह 2024 PT5 29 सितम्बर (रविवार) से 25 नवम्बर के बीच लगभग दो महीने तक पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। नासा के मुताबिक इसे 29 सितंबर से देखा जा सकता है।
7 अगस्त को हुई थी इसकी खोज
बता दें कि मिनी-मून की खोज 7 अगस्त को हुई थी। यह एस्ट्रॉयड 10 फीट से 138 फीट साइज का हो सकता है। ऑसम एस्ट्रोनॉमी पॉडकास्ट की होस्ट डॉ. जेनिफर मिलार्ड के अनुसार, एस्ट्रॉयड इस समय 2200 मील प्रति घंटा (3540 किलोमीटर प्रति घंटा) की रफ्तार से धरती का चक्कर काट रहा है। धरती से इसकी दूरी 2.6 मिलियन मील है।
बताया जा रहा है कि इस मून को नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है। लेकिन सवाल है कि क्या भारत में नजर आएगा या नहीं? यह बहुत छोटा है और धुंधली चट्टानों से बना है। यहां तक कि इसी घरेलू दूरबीनों से भी देखना मुश्किल होगा। इसे देखने के लिए स्पेशल टेलीस्कोप की जरूरत होगी। इसलिए आप इसकी बहुत सारी शानदार तस्वीरें ऑनलाइन देख सकेंगे।
इतनी दूरी से करेगा पृथ्वी की परिक्रमा
हालांकि इस एक छोटे चंद्रमा से टकराने का कोई खतरा नहीं है। ये 2.6 मिलियन मील (4.2 मिलियन किलोमीटर) दूर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। आमतौर पर दो तरह के क्षुद्रग्रह पृथ्वी की कक्षा में आते हैं। एक वो जो ग्रह के चारों ओर कई चक्कर लगाते हैं और कई सालों तक रहते हैं। दूसरे ऐसे होते हैं जो पृथ्वी के चारों ओर एक पूर्ण चक्कर भी पूरा नहीं करता।
क्यों इसे नंगी आंखों से नहीं देख सकते
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हम इस मिनी-मून को देख नहीं सकते क्योंकि इसकी चमक मैग्निट्यूड 22 है, जो इसे नंगी आंखों से या यहां तक कि बाजार में उपलब्ध शक्तिशाली टेलीस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता। इसे केवल बड़े 30-इंच वाले पेशेवर टेलीस्कोप से ही देखा जा सकता है।
कब-कब देखा गए दो चंद्रमा
दिलचस्प बात यह है कि रिसर्चर्स ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है जब पृथ्वी के दो चंद्रमा हैं। 1981 और 2022 में क्षुद्रग्रह 2022 एनएक्स1 के साथ यह घटना देखी गई, जो 2051 में फिर से दिखाई देगा।
2013 मिले चंद्रमा का क्या हुआ था
पृथ्वी को ऐसा ही एक चंद्रमा साल 2013 में देखने को मिला था। क्षुद्रग्रह को अंतरिक्ष चट्टान भी कहा जाता है। करीब 55 से 65 फीट (17 से 20 मीटर) आकार का था। ये क्षुद्रग्रह हवा में ही फट गया। इससे जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम की तुलना में 20 से 30 गुना अधिक ऊर्जा निकली। सूरज से भी अधिक चमक पैदा हुई। इसके मलबे ने 7,000 से अधिक इमारतों को नुकसान पहुंचाया और 1,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।