लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। पंजाब सरकार ने निलंबित डीएसपी गुरशेर सिंह को डिसमिस करने संबंधी मंजूरी दे दी है। सरकार ने उनकी फाइल पी.पी.एस. को भेज दी है। साथ ही पंजाब के डीजीपी से पूछा जाएगा कि उन्होंने किस जांच के आधार पर कहा कि इंटरव्यू पंजाब में नहीं हुआ। डीजीपी ने पंजाब की जेलों को क्लीन चिट देने में जल्दबाजी क्यों की, जबकि उनके पास जेलों की शक्तियां ही नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई गलती है तो उसे स्वीकार किया जाना चाहिए।
कौन हैं लॉरेंस, पिता का सपना था IAS ऑफिसर बने
लॉरेंस का जन्म पंजाब के फाजिल्का जिले में स्थित दुरातांवाली गांव में हुआ। लॉरेंस बचपन से ही काफी एक्टिव और स्पोर्टी था। वह कुश्ती लड़ता था, लेकिन उसके पिता का सपना था कि बेटा IAS ऑफिसर बने। अबोहर से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद लॉरेंस चंडीगढ़ चला गया। यहां उसने DAV कॉलेज में दाखिला लिया।
गोल्डी बराड़ से हुई दोस्ती
धीरे-धीरे उसने छात्र राजनीति में दिलचस्पी लेनी शुरू की और यहीं उसकी दोस्ती गोल्डी बराड़ से हुई। वहीं, गोल्डी बराड़, जो विदेश में बैठकर लॉरेंस बिश्नोई गैंग के लिए काम करता है। 2011 में लॉरेंस ने चुनाव लड़ने के लिए एक संगठन बनाया। नाम रखा ‘स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी’ यानी SOPU। इसी बैनर तले उसने चुनाव लड़ा, लेकिन हार गया।
कॉलेज में था तब हुआ हत्या का पहला मामला दर्ज
हार के बाद लॉरेंस अपमानित महसूस करने लगा। उसके मन में बदला लेने का भूत सवार हो गया। उसी साल उसने एक रिवॉल्वर खरीदी और उस गैंग से जा भिड़ा जिसके साथ उसकी हार हुई थी। दोनों गैंग के बीच बहस और हाथापाई हुई। इसी बीच लॉरेंस ने फायरिंग कर दी। तब पंजाब पुलिस ने उसके खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया था। लॉरेंस के खिलाफ ये पहला मामला था।
इसके बाद लॉरेंस ने अवैध गतिविधियों में शामिल होना शुरू कर दिया। वह गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया और रॉकी फाजिल्का की गैंग से जुड़ गया। भगवानपुरिया गुरदासपुर का रहने वाला था। उसने लॉरेंस को न केवल धंधे के गुर सिखाए बल्कि उसे अपने कामों में खुली छूट भी दी।
पुलिस की गिरफ्त से भागा था
2014 में लॉरेंस बिश्नोई को राजस्थान में गिरफ्तार करके भरतपुर जेल भेजा गया था। हालांकि, वह ज्यादा दिनों तक पुलिस गिरफ्त में नहीं रह सका। जब उसे पेशी के लिए मोहाली ले जाया जा रहा था तो वो वहां से पुलिस हिरासत से फरार हो गया। वह भागकर नेपाल पहुंच गया। कई महीनों तक वह नेपाल में रहा और वहीं से अपनी गतिविधियां चलाता रहा। 2016 में लॉरेंस को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। तब से अभी तक वह जेल में बंद है।