पंजाब में दिसंबर के आखिरी दिनों में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग से एक अपील की है। अकाली का कहना है कि शहीदी पखवाड़ा 15 से 31 दिसंबर तक मनाया जाता है। 4 साहिबजादों और माता गुजर कौर जी के शहीदी पखवाडे़ के दौरान चुनाव न कराए जाए।
दलजीत चीमा ने की अपील
अकाली दल के सीनियर नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि इस पखवाड़े के दौरान लाखों लोग गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब और संबंधित स्थानों पर माथा टेकते हैं। इतिहास की इस अविश्वसनीय शहादत पर श्रद्धा के फूल चढ़ाते हैं। इसलिए इस समय के दौरान कोई भी चुनाव कराने से शांतिपूर्ण और पवित्र माहौल खराब होगा और लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होंगी।
तारीखें तय करते समय ध्यान में रखे
उन्होंने आगे कहा कि चुनाव बहुत आवश्यक हैं। लेकिन चुनाव कराते समय ऐतिहासिक महत्व के दिनों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। अकाली दल उम्मीद करता है कि सरकार और राज्य चुनाव आयोग चुनाव की तारीखें तय करते समय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखेंगे। चुनाव आयोग और पंजाब सरकार इन पहलुओं को ध्यान में रख कर ही कोई फैसला लें। क्योंकि इस मुद्दे से राज्य के लोगों को भावनाएं जुड़ी हुई हैं।
यह मुद्दा धार्मिक और सांस्कृति भावना से जुड़ा
वहीं, उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार और राज्य चुनाव आयोग इस संवेदनशील मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेंगे। चुनाव की तारीखें तय करते समय राज्य की जनता की भावनाओं और धार्मिक महत्व को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ सिख समुदाय से जुड़ा नहीं है, बल्कि पूरे राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक भावना से जुड़ा है।
क्यों मनाया जात है शहीदी पखवाड़ा
यह शहीदी पखवाड़ा सिख धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है, क्योंकि यह चार साहिबजादों (गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों) और माता गुजर कौर की बलिदानी शहादत की याद में मनाया जाता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु श्री फतेहगढ़ साहिब और अन्य ऐतिहासिक स्थलों पर जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। यह समय सिख समुदाय के लिए श्रद्धा, प्रार्थना और बलिदान की भावना को स्मरण करने का होता है।