जीवन नगर नामधारी पंथ के हर व्यवस्था संबंधी ढांचे में 50% भागीदारी महिलाओं की होगी। लड़कियों को उच्च शिक्षा अवश्य दिलानी चाहिए ताकि लड़कियां भी जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ सके। यह महान संदेश वर्तमान नामधारी प्रमुख सतगुरु दलीप सिंह ने जीवन नगर में आयोजित "अस्सू के मेले" समागम के दौरान दिए और पूरे सिख पंथ के उत्थान के लिए अनुरोध किया।
स्त्री जाति का बढ़ाया मान
गौरतलब है कि नामधारी पंथ के संस्थापक सतगुरु राम सिंह ने महिलाओं के प्रति बहुत परोपकार किए, इसीलिए उन्हें महिलाओं का पहला मुक्ति दाता भी कहा जाता है। वर्तमान समय में, सतगुरु दलीप सिंह जी ने समाज से कुरीतियों को खत्म करने के लिए प्रयास किए हैं और नामधारी महिलाओं को बड़े कार्यक्रम आयोजित करने, अमृत छकाने, हवन करने, आनंद कारज की सभी रस्में पूरी करने आदि जैसे कई अनुष्ठानों में भाग लेने की अनुमति देकर समाज में स्त्री जाति का मान बढ़ाया है।
नामधारियों के इस ऐतिहासिक स्थान जीवन नगर में 40 दिनों के जप प्रयोग समापन के बाद, विक्रम सम्वत 27 से 29 अस्सू के मुताबिक 13 से 15 अक्टूबर को अस्सु का मेला समागम बहुत ही श्रद्धापूर्वक मनाया गया। कवि और अन्य प्रमुख शख्सियतों ने संगत को गुरबाणी में लिखे सतगुरु जी के आदेशों का पालन करने के लिए प्रेरित किया। जसबीर कौर ने बताया कि सतगुरु दलीप सिंह की निर्देसों पर नामधारियों की ओर से सिखों को ईसाई धर्म के हमले से बचाने के लिए, गांव-गांव जाकर सिख धर्म का प्रचार करने के साथ-साथ जरूरतमंद सिखों की मदद की जाती है।
खास भूमिका की अदा
इस मेले के दौरान अमृतधारी बच्चियों ने, जहां गुरु ग्रंथ साहिब और दशम ग्रंथ साहिब के श्लोकों का पाठ किया, लावों का उच्चारण किया, मंच का संचालन किया, भाषण दिए तथा प्रबंधीय जिम्मेदारियों में अपनी खास भूमिका निभाई। ऐसा किसी भी सिख संप्रदाय में पहली बार हुआ है। गौरतलब है कि महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव ही केंद्र और राज्य सरकार ने पारित किया है। अभी तक लागू नहीं हुआ।
इस मेले के दौरान सतगुरु की प्रेरणा से नवविवाहित दंपति ने जोड़े साफ करने की सेवा यानि रक्तदान शिविर, निःशुल्क आंखों का शिविर, निःशुल्क योग शिविर, होम्योपैथिक एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविर भी लगाए गए। इस कार्यक्रम के मुख्य रूप से महाराज गोपाल मनी जी, जै इंदर सिंह नामधारी तथा मुख्य प्रबंधक जसपाल सिंह, सुखराज सिंह, जगदेव सिंह, रघबीर सिंह बाजवा, मुख्तयार सिंह, मोहन सिंह झब्बर, अजीत सिंह संतावली, अंगरेज सिंह, सूबा भगत सिंह यू.पी., सूबा जरनैल सिंह, जसबीर सिंह सिरसा, मास्टर सुखदेव सिंह, मास्टर इकबाल सिंह, प्रभजिंदर सिंह प्रिंस, दलजीत कौर, रंजीत कौर, सतनाम कौर, रमनदीप कौर, संदीप कौर, हरप्रीत कौर, गुरवंत कौर, जसविंदर कौर के अलावा देश-विदेश से हजारों की संख्या में संगत हाजिर हुई।