गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी दिल्ली के कुलपति डॉक्टर महेश वर्मा कहते हैं कि यूजीसी ने पीएचडी की अनिवार्यता को खत्म कर बड़ा कदम उठाया है। नेट की परीक्षा के जरिए छात्रों की क्षमता को जांच लिया जाता है। ऐसे में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए इसे न्यूनतम योग्यता माना जाना सही कदम है। दरअसल, पीएचडी करने में छात्रों को 6 साल तक लग जाते हैं। ऐसे में जिन छात्रों का उद्देश्य सिर्फ शिक्षक के तौर पर काम करना है, उन्हें जल्द असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का मौका मिलेगा। भर्ती के बाद भी ये छात्र अपनी पीएचडी पूरी कर सकते हैं।