जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से सेना की गाड़ी पर आतंकवादियों ने गोलीबारी की। इस घटना के बाद सेना ने इलाके में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया है। इस बार आतंकवादियों ने आर्मी के एम्बुलेंस गाड़ी सहित भारतीय सेना के वाहनों को निशाना वहीं जानकारी देते हुए सैन्य अधिकारी ने कहा कि इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ।
टेरर अटैक को नाकाम किया जवानों ने
गाड़ी में बैठे जवान सुरक्षित हैं। सतर्क जवानों ने टेरर अटैक को नाकाम कर दिया। साथ ही, इलाके में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। लोगों से पूछताछ के आधार पर और जानकारी जुटाई जा रही है।
जाने कैसे हुआ सेना की गाड़ी पर हमला
जानकारी के अनुसार आज सुबह 7:25 बजे जोगवान में शिवासन मंदिर के पास बट्टल इलाके में कम से कम तीन से चार आतंकवादियों ने एम्बुलेंस और भारतीय सेना के वाहनों पर गोलियां चलाईं। इस दौरान करीब 15-20 राउंड फायरिंग की गई। हालांकि किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
24 अक्टूबर - इससे पहले भी सेना की गाड़ी पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया था। इसमें 3 जवान शहीद हुए थे। साथ ही 2 पोर्टर वर्कर्स की भी मौत हुई थी।
21 अक्टूबर - जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में आतंकियों ने जेड-मोड सुरंग के कैंपसाइट के पास गैर-स्थानीय लोगों पर हमला किया था। जिसमें डॉक्टर समेत 6 से 7 लोगों की मौत हो गई। इस हमले में चार मजदूर बुरी तरह से घायल भी हो गए है। जिन्हें श्रीनगर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
मृतकों की हुई पहचान
पुलिस ने बताया कि डॉक्टर की पहचान बड़गाम के शहनवाज अहमद के तौर पर हुई है। वहीं अन्य मृतकों की पहचान अनिल कुमार शुक्ला और फहीम नजीर, कठुआ के रहने वाले शशि अब्रोल, बिहार के मोहम्मद हनीफ और कलीम के रूप में हुई थी।
सभी मजदूर सुरंग प्रोजेक्ट का काम कर रहे थे
बता दें कि सभी मजदूर केंद्र सरकार की तरफ से चल रहे सुरंग प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे। वहीं इस हमले से 50 किलोमीटर दूर बारामूला में सुरक्षाबलों ने 1 आतंकी को भी मार गिराया था। उसके पास से भारी मात्रा में हथियार भी बरामद हुए थे।
TRF ने ली जिम्मेदारी
इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन दि रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी। टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा की ही एक शाखा है।