वेब खबरिस्तान, नई दिल्ली : अगर हम आपसे कहें कि दुनिया में एक ऐसा देश भी है, जहां गाय-भैंस चराने वाले चरवाहे भी जीपीएस का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप चौंकेंगे तो नहीं। जीहां, चरवाहे। आमतौर पर जीपीएस (GPS) यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम। ऐप के जरिए चलने वाली ओला-उबर जैसी कैब इनका इस्तेमाल करती हैं। यानी एक ऐसी चीज, जिसके जरिए हम धरती पर मौजूद किसी शख्स या चीज की लोकेशन जान सकते हैं ताकि पैसेंजर इसके जरिए वाहन को ट्रेस कर सकें. लेकिन आज हम आपको इस देश के बारे में बताने जा रहे हैं।
जीपीएस सिस्टम से लैस हो रहे चरवाहे
हम बात कर रहे स्पेन की. जहां हर साल गर्मियों के मौसम में दक्षिणी स्पेन के मैदानों में पशु प्रवासन शुरू होता है. चरने के लिए घास की तलाश में पशु एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र की लंबी दूरी तय करते हैं. कभी कभी तो ये 300 किलोमीटर तक पहुंच जाते हैं और 15 दिनों तक घूमते रहते हैं. इसे ट्रांसह्यूमेंस कहा जाता है. ऐसे वक्त में चरवाहों के लिए पशुओं की निगरानी करना काफी मुश्किल होता है. इसलिए सभी चरवाहे जीपीएस सिस्टम से लैस हो रहे हैं, ताकि पशुओं की लोकेशन पर नजर रख सकें।
पशु दूर तक घास चरने के लिए जाते हैं
दरअसल, ट्रांसह्यूमेंस स्पेन की सदियों पुरानी एक सांस्कृतिक विरासत है। गर्म महीनों में पशु काफी दूर तक हरे भरे घास चरने के लिए जाते हैं. लेकिन सर्दियों में जब पहाड़ बर्फ से ढंक जाते हैं तो पशु दक्षिण के गर्म मैदानों में लौट आते हैं. सबसे जरूरी होता है, पानी. कहां सोना है और हर दिन कितनी दूरी तय करनी है, यह सबकुछ पानी पर ही निर्भर करता है।
जीपीएस ट्रैकिंग के सहारे लगाते हैं पता
गर्मियों में छोटे जलाशय और तालाब जल्दी सूख जाते हैं. ऐसा होने पर गर्मियों में सफ़र के लिए बहुत लंबी दूरी तय करनी पड़ सकती है. ऐसे में कई बार गायें खो जाती हैं, तो कुत्ते मददगार होते हैं। मगर अब इन समस्याओं से निपटने के लिए चरवाहे नया तरीका अपना रहे हैं. जीपीएस ट्रैकिंग के सहारे रात में खो जाने वाली गायों का आसानी से पता लगाया जा सकता है।