लोकेशन आधारित ऐप्स राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बढ़ता हुआ खतरा आज की डिजिटल युग में जहां स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है वहीं कई ऐसे मोबाइल एप्लीकेशन है जो हमारी गतिविधियों की निगरानी कर रहे हैं वह भी हमारी जानकारी के बिना खास तौर पर लोकेशन आधारित एप्स जैसे की Google maps, Snapchat, find my device, WhatsApp और कहीं अन्य अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं l
क्या है खतरा ?
इन एप्स के माध्यम से उपयोगकर्ताओं की रियल टाइम लोकेशन यात्रा का मार्ग और आवाज आई का पूरा विवरण विदेशी सर्वरों पर स्टोर किया जा रहा है सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार यह डाटा न केवल किसी व्यक्ति की निजता पर हमला है बल्कि इससे सैनिटी कानून सरकारी इमारत और रणनीतिक के क्षेत्र की जानकारी भी लीक हो सकती है l
- लोकेशन डेटा का दुरुपयोग का साइबर हमला फिजिकल टारगेटिंग और जासूसी की घटनाएं अंजाम दी जा सकती है
- संवेदनशील क्षेत्रों में एप्स की ऑटोमेटिक लोकेशन, टैगिंग ड्रोन या सेटेलाइट निगरानी से भी अधिक सटीक डेटा दे सकती है
- इससे देश की राजनीति का सैन्य और गोपनीय जानकारियां लीक हो सकती है
सुरक्षा एजेंसियों की चेतावनी
हाल ही में ईरान और भारत की साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने अपने नागरिकों को इन एप्स के अत्यधिक प्रयोग से सावधान रहने की सलाह दी है उन्होंने विशेष रूप से सैन्य कर्मियों पुलिस अधिकारियों और सरकारी कर्मचारियों को सूचित किया है कि वह ऐसी एप्लीकेशन को अपने फोन से हटाए या उनकी लोकेशन एक्सेस को बंद रखें l
सरकार की सख्ती की जरूरत
सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को चाहिए कि:-
- ऐसी एप्स पर निगरानी रखी जाए जो अत्यधिक डाटा संग्रह करते हैं
- सरकारी अधिकारियों और सैन्य बलों के लिए डिजिटल सुरक्षा दिशा निर्देश अनिवार्य की जाए
- जनता को जागरूक किया जाए कि वह अपनी डिजिटल गतिविधियों के प्रति सतर्क रहें
जहां एक और लोकेशन आधारित एप्स ने जीवन को सुविधाजनक बनाया है वहीं दूसरी ओर उनका अनुच्छेद उपयोग राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था को गंभीर खतरे में डाल सकता है समय की मांग है कि हर नागरिक डिजिटल सतर्कता बढ़ते और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखें l
डॉ अजय दत्ता
असिस्टेंट प्रोफेसर