Light a lamp at the entrance of the house on Bhadrapada Somvati Amavasya : सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या को बहुत ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आती हैं। पंचांग के अनुसार सावन के बाद अभी भाद्रपद मास चल रहा है। इस महीने पड़ने वाली अमावस्या को भाद्रपद मास अमावस्या कहा जाता है। वहीं जो अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है उसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। अमावस्या तिथि पर स्नान दान पूजा पाठ और व्रत आदि करना उत्तम माना जाता है।
पितरों का श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान का लाभ
इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से सभी तरह के पापों का नाश हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या तिथि के देवता पितरों को माना गया है ऐसे में इस दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना लाभकारी होता है। ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और पितृदोष भी समाप्त हो जाता है।
2 सितंबर को भाद्रपद सोमवती अमावस्या
इस साल भाद्रपद माह की अमावस्या 2 सितंबर दिन सोमवार को पड़ रही है सोमवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण ही इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जा रहा है। इस दिन अगर घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाया जाए तो पितरों की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त होता है और कष्टों का अंत हो जाता है तो आज हम आपको इसी के विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
भाद्रपद माह अमावस्या पर जरूर जलाएं
भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि पर पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए घर के प्रवेश द्वार पर शाम के समय तिल के तेल का दीपक जरूर जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृदोष समाप्त हो जाता है और उसके दुष्प्रभाव में भी कमी आने लगती है। अमावस्या पर आप मिट्टी के दीपक में ही दीया जलाएं। इसे मुख्य द्वार पर रख दें।
पितरों के निमित्त लंबी बाती का दीपक
इसके अलावा पितरों के निमित्त लंबी बाती वाला ही दीपक जलाना शुभ होता है। इसलिए लंबी रूई की बाती वाला ही दीपक जलाएं इसे शुभ माना गया है और इसे प्रवेश द्वार के बाहर की दिशा में रख दें। तिल के तेल के साथ दीपक जलाएं और इस दीपक को काले तिल के उपर रख दें। खाली जमीन पर नहीं रखना चाहिए इसे अच्छा नहीं माना जाता है।