गठतंत्र दिवस परेड में पंजाब की झांकी के मुद्दे पर अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल ने भी सीएम भगवंत मान के साथ सुर मिलाया है। इससे पहले सुनील जाखड़ भी नाराजगी जता चुके हैं, हालांकि बाद में उन्होंने इसके लिए सीएम भगवंत मान को ही जिम्मेदार ठहराया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गणतंत्र दिवस परेड में पंजाब की झांकी (Punjab's Tableau) शामिल नहीं करने केंद्र सरकार पर निशाना साधा था?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि गणतंत्र दिवस परेड में पंजाब की झांकी को गौरवपूर्ण स्थान मिलना चाहिए था।
प्रत्येक पंजाबी अपनी समृद्ध संस्कृति (विरसा) और इतिहास, जो बलिदानों और गुरु साहिबान के सार्वभौमिक भाईचारे के संदेश से परिपूर्ण है, को 26 जनवरी को राष्ट्र के सामने प्रदर्शित होते देखना चाहेगा।परेड में पंजाब की झांकी को शामिल न किया जाना निश्चित रूप से हम सभी के लिए निराशाजनक है। वीरवार को उन्होंने कहा कि-क्योंकि झांकी में सीएम भगवंत मान और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तस्वीरें थी। इस कारण झांकी रिजेक्ट हुई हैं।
सुखबीर बादल ने भी एक्स पर ट्वीट कर पीएम से पंजाब की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल करने की अपील की है। उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गणतंत्र दिवस परेड से राज्य को बाहर कर गौरवान्वित, देशभक्त और वीरतापूर्ण पंजाब और पंजाबियों के प्रति भेदभाव के खिलाफ हस्तक्षेप करने के लिए आग्रह करता हूं।
महान गुरु साहिबान, साहिबजादों और शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह, सरदार करतार सिंह सराभा, सरदार उधम सिंह, लाला लाजपत राय जैसे स्वतंत्रता संग्राम के अनगिनत नायकों और शहीदों की विरासत को उजागर किए बिना किसी भी राष्ट्रीय कार्यक्रम को कैसे पूरा माना जा सकता है। शहीदों की भूमि के साथ इस अन्याय के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति की पहचान की जानी चाहिए और उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
पंजाब ने दिया था तीन झांकियों का प्रस्ताव
बीते दिन सीएम मान ने बताया था कि "हमने चयन के लिए पंजाब से तीन झांकियों का प्रस्ताव रखा, जिसके लिए डिजाइन भी दिए गए और हमारे अधिकारियों ने केंद्र के साथ इस संबंध में बैठकें भी कीं." ये तीन झांकियां 'पंजाब कुर्बानियां अते शहादतां दा इतिहास', 'नारी शक्ति: माई भागो' (सिख धर्म की पहली महिला योद्धा) और 'पंजाब दा अमीर विरसा ते ओडी पेशकारी' थीं।
ऐसे होती है झांकियों की सिलेक्शन
गणतंत्र दिवस परेड के लिए तैयारियां काफी पहले से ही शुरू हो जाती हैं। झांकियों की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय को सौंपी जाती है। वह ही तय करते हैं कि किस राज्य और किस विभाग की झांकी परेड में शामिल होगी। इसके लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन होता है, जिसमें आर्ट, कल्चर, पेंटिंग, स्कल्पचर, म्यूजिक, आर्किटेक्चर, कोरियोग्राफी क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोग होते हैं। कमेटी झांकियों का उनके विषय, डिजाइन और उसके विजुअल इंपैक्ट के आधार पर जांच करती है। अपनी सिफारिश डिफेंस मिनिस्ट्री को भेजती है।
पहला फेज
पहले फेज में सभी प्रस्तावों के स्केच/डिजाइन की जांच होती है। संशोधन के लिए सुझाव दिए जाते हैं। प्रतिभागियों से 3-डी मॉडल्स मांगे जाते। हैं। हालांकि, मॉडल स्टेज में आने का मतलब सिलेक्शन नहीं होता है। फाइनल सिलेक्शन के लिए एक्सपर्ट कमेटी विभिन्न आधार पर झांकियों के 3-डी मॉडल की जांच करती है। सेलेक्शन प्रक्रिया आम तौर पर 6 से 7 राउंड की बैठक के बाद पूरी होती है। हर स्टेज में कुछ प्रस्तावों को खारिज कुछ को शॉर्टलिस्ट किया जाता है।
फाईनल फेज
झांकी की विजुअल अपील, लोगों पर कितना प्रभाव डालेगी, आइडिया, थीम और म्यूजिक समेत कई अन्य फैक्टर को परखा जाता है। परेड के लिए तय समय होता है और इसी में सब कुछ पूरा करना होता है। जिस कारण लिमिटेड संख्या में ही झांकियों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है।जिन झांकियों का सिलेक्शन हो जाता है, उन्हें रक्षा मंत्रालय एक ट्रैक्टर और ट्रेलर मुहैया कराता है।