Due to watching mobile, one has to resort to spectacles at a young age, near vision is becoming weak : जहां पहले काफी बड़ी उम्र में चश्मे लगाने की जरूरत पड़ती थी वहीं अब छोटे बच्चों को काफी कम उम्र में ही चश्मों का सहारा लेना पड़ रहा है। वजह घंटों- घंटों मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और कंप्यूटर की स्क्रीन के सामने समय बिताने से बच्चों और नौजवानों की पास की नजर कमजोर हो रही है और अब ये समस्या महामारी के स्तर पर पहुंच गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने तो पिछले कुछ ही सालों में पास की नजर कम होना यानी की मायोपिया के मामले काफी ज्यादा बढ़े हैं, साथ ही कुछ स्टडीज कहती हैं कि 2050 तक लगभग आधी आबादी इस समस्या से ग्रस्त हो जाएगी।
मेडिकल टर्म में ये है मायोपिया
पास की नजर कमजोर होने को मेडिकल टर्म में मायोपिया कहते हैं। इसमें दूर की चीजें साफ देखने में परेशानी आती है। इसमें आंखों की पुतली का आकार बढ़ने से किसी चीज का प्रतिबिंब रेटिना पर बनने की जगह थोड़ा आगे बनता है।
दूर की चीजें धुंधली ही दिखेगी
ऐसा होने से दूर की चीजें धुंधली दिखाई देने लगती हैं, लेकिन पास की चीजें देखने में कोई खास परेशानी नहीं आती। एक अनुमान के मुताबिक देश की 20-30 फीसदी आबादी मायोपिया से ग्रस्त है। जब मायोपिया की समस्या बढ़ जाती है तो मरीज को मोतियाबिंद या ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है।
मायोपिया होने की वजह : हर्षा
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हर्षा सक्सेना बताती हैं कि मायोपिया होने के कई कारण जिम्मेदार हैं जिनमें अनुवांशिक और एनवायरमेंटल दोनों कारक शामिल हैं। अगर परिवार में मायोपिया का इतिहास रहा हो तो आपको होने का खतरा ज्यादा रहता है। वही मॉडर्न लाइफस्टाइल, इनडोर गतिविधियां बढ़ाने में सहायक है।
मायोपिया की स्थिति में ये करें
चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस मायोपिया के लक्षणों को बढ़ने से रोकता है। स्पेशली डिजाइन चश्मों में विशेष प्रकार के ऑप्टिकल लैंस का इस्तेमाल किया जाता है जो इसे बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा कई आई ड्रॉप से बच्चों में मायोपिया को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है।
मायोपिया से बचाव के उपाय
1. लाइफस्टाइल में बदलाव कर भी मायोपिया को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसमें बच्चों को आउटडोर एक्टिविटी के लिए प्रोत्साहित करें। जो बच्चे बाहर अधिक समय बिताते हैं उनमें मायोपिया होने का खतरा अपेक्षाकृत कम होता है इसलिए बच्चों को इनडोर एक्टिविटी की बजाए बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें।
2. प्रत्येक दिन कम से कम दो घंटे बच्चों का बाहर खेलने का लक्ष्य रखें। बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करें। आजकल आंखों से जुड़ी ज्यादातर परेशानी बच्चों के ज्यादा समय स्क्रीन से जुड़े रहने के कारण हो रही हैं। ऐसे में बच्चों को कम से कम फोन या टीवी देखने दें।
3. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक 2 से 5 साल की आयु के बच्चों के लिए स्क्रीन समय को प्रतिदिन एक घंटे तक सीमित रखें जबकि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन समय से पूरी तरह बचाएं।
4. साथ ही बच्चों के साथ 20-20-20 का नियम रखें। जिसमें हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर की चीज को देखने के लिए कहें। बच्चों का भी समय समय पर आई चेकअप जरूर करवाएं। इससे उनकी आंखों को ठीक रखने में बड़ी मदद मिलेगी।