खबरिस्तान नेटवर्क : मध्यप्रदेश के कुनों नेशनल पार्क में निमीबिया से लाए गए चीतों के मरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को कुनो में एक फीमेल चीता मृत पाई गई। मिली जानकारी के अनुसार चीता की मौत त्वचा के फ्रीकशन के कारण सेप्टीसीमिया से हुई है, लेकिन इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम के बाद की जाएगी।
वार्डन ने कही ये बात
“बुधवार की सुबह, फीमेल चीतों में से एक धात्री (तिब्लिसी) जंगल में मृत पाई गई। एमपी के मुख्य वन्यजीव वार्डन असीम श्रीवास्तव ने कहा, मौत का कारण निर्धारित करने के लिए पोस्टमार्टम किया जा रहा है।
बता दें कि जंगल में दो फीमेल चीता थीं - धात्री और निरवा, जबकि एक शावक सहित अन्य 14 चीते बाड़े में हैं।
श्रीवास्तव ने कहा, "केएनपी के बोमा में रखे गए सभी 14 चीते (07 मेल, 06 फिमेल और 01 फिमेल बच्चा) स्वस्थ हैं, और कुनो वन्यजीव पशु चिकित्सकों और नामीबिया के विशेषज्ञों की टीम द्वारा उनके स्वास्थ्य की नियमित निगरानी की जा रही है।"
क्लिनिकल परीक्षणों के लिए पकड़ने की कर रहे थे कोशिश
वन अधिकारी हाल ही में संक्रमण के कारण दो चीतें - तेजस और सूरज की मौत के बाद क्लिनिकल परीक्षणों के लिए उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे थे और तीन चीते त्वचा की खरोंच के कारण रेडियो कॉलर के पास संक्रमित पाए गए थे।
एक चीता निरवा, रेडियो कॉलर की खराबी के कारण खो गया है। उसका पता लगाने के लिए हाथियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
हाल ही में रेडियो कॉलर के सेप्टिसीमिया के कारण केएनपी में तेजस और सूरज - दोनों अफ्रीकी चीतों की मौत के बाद, श्योपुर जिले में केएनपी में चीतों की निगरानी पर सवाल उठाए गए थे, जिसके बाद वन्यजीव मुख्य वार्डन जसबीर सिंह चौहान को स्थानांतरित कर दिया गया था। जुलाई में दिल्ली में चीतों की हालिया मौतों पर एक संचालन समिति की बैठक के एक महीने बाद।