SYL मुद्दे को लेकर पंजाब-हरियाणा और केंद्रीय जलमंत्री गजेंद्र शेखावत की मीटिंग खत्म हो चुकी है। एक बार फिर यह मीटिंग बेनतीजा रही है। इस मीटिंग में दोनों राज्यों के AG और CS मौजूद रहे। मीटिंग खत्म होने मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि हमारे पास किसी को भी देने के लिए पानी नहीं है।
4 जनवरी को देंगे जवाब
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मीटिंग खत्म होने के बाद कहा कि हम अपने पुराने स्टैंड पर बने हुए हैं। सतलुज नहर नहीं अब नाला बन चुका है। पंजाब का 70 फीसदी हिस्सा डार्क जोन में जा चुका है। खुद केंद्रीय जलमंत्री गजेंद्र शेखावत ने भी इस बात को माना कि पंजाब डार्क जोन में जा चुका है।
किसानों ने मीटिंग का किया विरोध
आपको बता दें कि SYL मीटिंग का किसानों ने आज विरोध किया। किसानों ने कहा कि वह पंजाब का पानी किसी को नहीं देने देंगे। इसके लिए किसान संगठनों ने मोहाली से चंडीगढ़ के लिए मार्च निकाला। पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें चंडीगढ़ में आने से रोक लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को लगाई थी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कहा कि वह इस मुद्दे पर राजनीति न करे। पंजाब सरकार कानून से ऊपर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट को सख्त आदेश देने के लिए मजबूर न करें। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में होने वाली डेवलपमेंट के बारे में रिपोर्ट देने को कहा है।
जानें क्या है SYL विवाद
- SYL नहर का पूरा विवाद पंजाब ने हरियाणा से 18 नवंबर,1976 को 1 करोड़ रुपए लिए और 1977 को SYL निर्माण मंजूरी दी।
- बाद में पंजाब ने SYL नहर के निर्माण को लेकर आनाकानी करनी शुरू कर दी।
- 1979 में हरियाणा ने SYL के निर्माण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
- पंजाब ने 11 जुलाई, 1979 को पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।
- 1980 में पंजाब सरकार बर्खास्त होने के बाद 1981 में PM इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों राज्यों का समझौता हुआ।
- 1982 में इंदिरा गांधी ने पटियाला के गांव कपूरी में टक लगाकर नहर का निर्माण शुरू करवाया।
- इसके विरोध में शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने SYL की खुदाई के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया।
- 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता हुआ, जिसमें पंजाब नहर के निर्माण पर सहमति जताई गई।
- 1990 में 3 जुलाई SYL के निर्माण से जुड़े दो इंजीनियरों की भी हत्या कर दी गई।
- हरियाणा के तत्कालीन CM हुक्म सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की कि निर्माण का काम BSF को सौंपा जाए।
- 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने 2002 को पंजाब को एक वर्ष में SYL नहर बनवाने के निर्देश दिए।
- 2015 में हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के लिए संविधान पीठ बनाने का अनुरोध किया।
- 2016 में गठित 5 सदस्यों की संविधान पीठ ने पहली सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को बुलाया।
- 8 मार्च को दूसरी सुनवाई में पंजाब में 121 किमी लंबी नहर को पाटने का काम शुरू हो गया।
- 19 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट के यथस्थिति के आदेश देते हुए नहर पाटने का काम रुकवा दिया।
- 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य नहर का निर्माण नहीं करते हैं तो कोर्ट खुद नहर का निर्माण कराएगा।
- अभी 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए नोटिस जारी किया है।
- इसके बाद से अब तीसरी मीटिंग होने जा रही है।