चुनाव आयोग ने वीरवार शाम इलेक्टोरल बॉंड से जुड़ा डाटा जारी किया है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 12 मार्च को निर्वाचन आयोग को इलेक्टोरल बॉंड से जुड़ा डेटा दे दिया था, जबकि इससे पहले (SBI) प्रबंधन जून तक का समय मांग रहा था। बीजेपी को इस अवधि में कुल 60 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉंड का पैसा मिला है। दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस है, जिसने 16 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉंड को इनकैश किया है।
ये डेटा दो तरह का है। एक पीडीएफ में जिन कंपनियों ने पैसा दिया है उनका 336 पेज का ब्यौरा है। दूसरी पीडीएफ में जिन पार्टियों ने पैसा लिया है उनका 426 पेज का ब्यौरा है। कौन सी राशि किसे मिली है ये इसमें क्लियर नहीं हैं। इसमें कितनी शैल कंपनियां हैं ये भी क्लियर नहीं है। इसका विशलेषण किया जा रहा है।

मगर पहली नजर में दो बड़ी बातें सामने आई हैं पहला कि इसमें सबसे ज्यादा पैसा बीजेपी को मिला है और चंदा देने वाली कंपनियों में अडानी का नाम नहीं हैं। हालांकि किसी शैल कंपनी से आए पैसे के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉंड खरीदने वाली कंपनी फ़्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज़ है। कंपनी ने कुल 1368 बॉन्ड खरीदे हैं, जिसकी क़ीमत 13.6 अरब रुपये से अधिक है।
इन पार्टियों को मिला चंदा
बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर पर अध्यक्ष, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति है, जिसे 14 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड का पैसा आया है। इसके बाद भारत राष्ट्र समिति ने 12 अरब रुपये और बीजू जनता दल ने 7 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉंड को इनकैश किया है। पाँचवें और छठे नंबर पर डीएमके और वाईएसआर कांग्रेस (युवासेना) हैं।
इसके बाद तेलुगु देशम पार्टी, शिवसेना (पॉलिटिकल पार्टी), राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, जनता दल (सेक्युलर), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, जनसेना पार्टी, अध्यक्ष समाजवादी पार्टी, बिहार प्रदेश जनता दल (यूनाइडेट), झारखंड मुक्ति मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम, शिवसेना, महाराष्ट्रवादी गोमन्तक पार्टी, जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ़्रेंस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का नाम है।
चंदा देने वाली कंपनियां
फ़्यूचर गेमिंग - 1368 बॉंड, कीमत 1368 करोड़
मेघा इंजीनियरिंग - 966 बॉंड, 966 करोड़ रुपये
इसके अलावा क्विकसप्लायर्स चेन प्राइवेट लिमिटेड, हल्दिया एनर्जी लिमिटेड, वेदांता लिमिटेड, एसेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड, वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, केवेंटर फूडपार्क इन्फ़्रा लिमिटेड, मदनलाल लिमिटेड, भारती एयरटेल लिमिटेड, यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, उत्कल अलुमिना इंटरनेशनल लिमिटेड, डीएलएफ़ कमर्शियल डेवलेपर्स लिमिटेड, जिंदल स्टील, आईएफ़बी एग्रो लिमिटेड, डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज़ आदि ने बॉंड खरीदे हैं।
प्रशांत भूषण ने उठाए सवाल
चुनाव आयोग के जानकारी आने के बाद सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली दूसरे नंबर पर रहे मेघा इंजीनियरिंग एंड इनफ़्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को लेकर सवाल किए हैं।
प्रशांत भूषण ने ट्वीट में कहा है, "11 अप्रैल 2023 को मेघा इंजीनियरिंग ने 100 करोड़ के इलेक्टोरल बॉंड किसको दिए? लेकिन एक महीने के अंदर ही उसे बीजेपी की महाराष्ट्र सरकार से 14,400 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट मिल जाता है। हालांकि, एसबीआई ने इस जानकारी में बॉंड नंबर छिपा लिए हैं लेकिन फिर भी कुछ डोनर और पार्टियों के मिलान कर के एक अनुमान लगाया जा सकता है। ज़्यादातार चंदे 'एक हाथ दे, दूसरे हाथ ले' जैसे लग रहे हैं।
"
मेघा इंजीनियरिंग को लेकर अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स भी सवाल कर रहे हैं।
एक एक्स यूज़र ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का संसद में दिए बयान का वीडियो शेयर किया है. इसमें वह मेघा इंजीनियरिंग की सराहना करते हुए सुनाई दे रहे हैं। उन्होंने ये भी बताया कि मेघा इंजीनियरिंग हैदराबाद की कंपनी है।
एक और यूज़र ने लिखा है, "11 अप्रैल- मेघा इंजीनियरिंग ने कॉर्पोरेट्स बॉन्ड्स से बीजेपी को करोड़ों का चंदा दिया। 12 मई को मेघा इंजीनियरिंग को 14,400 करोड़ का ठेका मिला।
"
क्या है पूरा मामला?
पिछले महीने 15 फ़रवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने SBI को निर्देश दिया था कि छह मार्च 2024 तक बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को सौंप दे। SBI इलेक्टोरल बॉन्ड बेचने वाला अकेला अधिकृत बैंक है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में अप्रैल 2019 से लेकर अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉंड का डेटा देने के लिए कहा गया था।
हालांकि, छह मार्च आने से पहले ही SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर के जानकारी देने की 30 जून तक का समय मांग लिया था। 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने SBI की याचिका ठुकरा दी और कहा कि 12 मार्च तक चुनाव आयोग को डेटा सौंप दे। कोर्ट ने चुनाव आयोग से 15 मार्च की शाम पांच बजे तक सारी जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए भी कहा था।
इलेक्टोरल बॉंड क्या हैं
राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए इलेक्टोरल बॉंड एक जरिया है। जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से ख़रीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीक़े से दान कर सकता है। ये योजना मोदी सरकार ने ही 2017 में शुरू की थी। योजना को सरकार ने 29 जनवरी 2018 को क़ानूनन लागू कर दिया था।
भारत सरकार ने इस योजना की शुरुआत करते हुए कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड देश में राजनीतिक फ़ंडिंग की व्यवस्था को साफ़ कर देगा। बीजेपी पर आऱोप है कि उसने ये योजना बड़े कॉर्पोरेट घरानों को उनकी पहचान बताए बिना पैसे दान करने में मदद करने के लिए बनाई थी।