Last Sankashti Chaturthi of the year is on 18th December, know the time of worship : साल की अंतिम संकष्टी चतुर्थी 18 दिसंबर को मनाई जाएगी। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की उपासना की जाती है। सनातन धर्म में भगवान गणेश को सबसे पूजनीय देवी देवताओं में से एक माना जाता है। श्रीगणेश को बुद्धि, बल और विवेक का देवता माना जाता है। कहते हैं कि भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं इसलिए विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में संकष्टी चतुर्थी व्रत सबसे प्रसिद्ध है।
शुभ मुहूर्त
उदयातिथि के अनुसार, साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी 18 दिसंबर को मनाई जाएगी। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 02 मिनट पर होगा। संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा को अर्घ्य रात 8 बजकर 27 मिनट पर दिया जाएगा।
पूजन विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें फिर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें। पूजा घर के ईशान कोण में एक चौकी रखें। उसपर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। पहले गणेश जी का ध्यान करते व्रत का संकल्प लें। पूजन विधि शुरू करते हुए गणेश जी को जल, दूर्वा, अक्षत, पान अर्पित करें।
मोदक चढ़ाएं
"गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें। प्रसाद में गणेश जी को मोतीचूर के लड्डू, बूंदी या पीले मोदक चढ़ाएं। चतुर्थी पूजा संपन्न करते त्रिकोण के अगले भाग पर एक घी का दीया, मसूर की दाल और साबुत मिर्च रखें। पूजा संपन्न होने पर दूध, चंदन और शहद से चंद्रदेव को अर्घ्य दें फिर प्रसाद ग्रहण करें।
मंत्र करें जाप
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
करें ये उपाय
1. संकष्टी चतुर्थी के दिन गाय के घी में सिंदूर मिलाकर दीपक जला लें फिर इस दीपक को भगवान गणेश के सामने रख दें। भगवान गणेश को इस दिन गेंदे का फूल अर्पित करें और गुड़ का भोग लगाएं। शुभ फल की प्राप्ति होगी।
2. केले के पत्ते को अच्छी तरह साफ करके उसपर रोली चन्दन से त्रिकोण की आकृति बना लें फिर केले के पत्ते को पूजा स्थल पर रखकर इसके आगे दीपक रख दें। इसके बाद त्रिकोण की आकृति के बीच में मसूर की दाल और लाल मिर्च रख दें। इसके बाद अग्ने सखस्य बोधि नः मंत्र का जाप करें।