One leaf cures infertility, without expensive treatment it echoes in the house : कितना भी पुराना घाव हो या दाद ,खाज, खुजली हो, यह इतना गुणी पौधा हैं कि उसे चुटकियों में ठीक कर देता है। सबसे बड़ी बात ये पौधा बांझपन को बिल्कुल दूर कर देता है। ये पौधा भारत में सभी स्थानों पर पाया जाता है है और मुख्य रूप से शुष्क क्षेत्रों में इसका बाहुल्य होता है। यह आपको खेत, खलिहान, नदी, नाला हर जगह मिल जायेगा। यह दो प्रकार के फूलों वाला होता है एक पीले फूल और दूसरा सफ़ेद फूल वाला। यह दोनों प्रकार के पौधे औषधीय रूप से सामान होते हैं। इसके पत्ते कटीले और इसे तोड़ने पर सुनहरे रंग का दूध निकालता है। इसके प्रमुख घरेलू उपचारों के बारे में जान लें...
बांझपन
यह एक ऐसी समस्या है जिससे आदमी टूट सा जाता है। इंसान के पास सब कुछ होते हुए जब कोई संतान नहीं होती तो वह व्यक्ति बहुत दुखी हो जाता है। निसंतानता का प्रमुख कारण बीज में शुक्राणुओं की कमी होती है। अगर कोई भी व्यक्ति इस समस्या से परेशान है तो सत्यानासी के पौधे की जड़ की छाल को छाया में सुखाकर इसका पाउडर बना लें। इसको सुबह खाली पेट एक से दो ग्राम दूध के साथ लें।
निसंतानता
इसके नियमित सेवन से निसंतानता और धातु रोग की समस्या 14 दिन में जड़ से खत्म हो जाती है। यदि समस्या अधिक उम्र के व्यक्ति को है तो इसका सेवन अधिक दिन भी करना पड़ सकता है। अगर हम इसकी जड़ों को धोकर इनका पाउडर बना लें और इसका प्रयोग सुबह मिश्री के साथ करें तो भी निसंतानता खत्म हो जाती है और संतान की प्राप्ति होती है। इसके लिए ये रामबाण औषधि है।
नपुंसकता
इसके लिए सत्यानासी की जड़ों को पीस कर, एक ग्राम सत्यानासी की जड़ का पाउडर और इतनी ही मात्रा में बरगद का दूध आपस में मिलाकर चने के आकार की गोलियां बना लें। इन गोलियों को लगातार 14 दिन तक सुबह -शाम पानी के साथ देने से नपुंसकता रोग खत्म हो जाता है। यह भी एक रामबाण उपाय है।
अस्थमा
इसके लिए सत्यानासी की जड़ों का चूर्ण एक से आधा राम दूध या गरम पानी से लेने से अस्थमा रोग ठीक हो जाता है।