Method of worship and worship of Lord Shiva on Somvati Amavasya : 30 दिसंबर यानी कल सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव की पूजा और उपासना का विधान बताया गया है। कुछ लोग सोमवती अमावस्या के दिन व्रत भी रखते हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए व्रत रखती हैं। माना जाता है कि इस दिन जो कोई भी पूजा पाठ करता है उसे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके बाद पीपल के पेड़ में शिव जी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा करती हैं। सोमवती अमावस्या के दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें।
सोमवती अमावस्या की कथा
एक कहानी के अनुसार एक ब्राह्मण हुआ करता था। ब्राह्मण की एक कन्या थी। सर्वगुण समपन्न होने के बावजूद उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक बार एक साधु उस ब्राह्मण के घर आया और कन्या के स्वभाव से बेहद प्रसन्न हुआ। उन्होंने कन्या को लंबी आयु का वरदान दिया। तब ब्राह्मण ने साधु से अपनी कन्या के विवाह के बारे में पूछा। साधु ने कहा कि कन्या के हाथ में विवाह रेखा तो है ही नहीं।
धोबिन के घर सेवा का प्रण
ब्राह्मण ने साधु से पूछा इसका क्या उपाय है? तब साधु ने कहा कि पास के गांव में एक सोना नाम की धोबिन का परिवार रहता है। अगर आप की कन्या वहां जाकर धोबिन की सेवा करें और खुश होकर धोबिन उसे अपना सुहाग दे दे तो इससे आपकी कन्या का विवाह हो सकता है। इसके बाद कन्या ने धोबिन के घर जाकर उसकी सेवा का प्रण लिया।
चुपचाप सारा काम करती
इस दिन के बाद से रोज सुबह सूर्योदय से पहले कन्या धोबी के घर जाती। वहां सारा काम करती और चुपचाप अपने घर वापस आ जाती। घर का सारा काम हुआ देख धोबिन को बड़ी खुशी मिलती है। उसे लगता था उसकी बहु सारा काम करती है। एक दिन उसने अपनी बहू से कहा कि तुम कितनी अच्छी हो तुम घर का सारा काम निपटा देती हो।
दोनों के मन में सवाल उठा
तब उसकी बहू ने उससे कहा कि ऐसा नहीं है मैं तो सोती रहती हूं। तब दोनों के मन में सवाल उठा कि आखिर घर का काम कर कौन रहा है? अगले दिन यह जानने के लिए दोनों इंतजार करने लगी तभी उन्होंने देखा कि एक कन्या आती है घर का सारा काम करती है और चुपचाप चली जाती है तब धोबिन ने उससे पूछा कि तुम कौन हो? और यह सब क्यों कर रही हो?
धोबिन को कहानी सुनाई
कन्या ने धोबिन को अपनी सारी कहानी कह सुनाई। इस पर सोना को कन्या पर दया आ गई और अगली सुबह उसने सुहाग देने की बात कही। अगला दिन सोमवती अमावस्या का दिन था। सोना को इस बात की जानकारी थी कि अगर उसने कन्या को अपना सुहाग दिया तो उससे उसके पति का देहांत हो जाएगा, लेकिन फिर भी उसने अगले दिन व्रत किया।
व्रत परंपरा की शुरुआत
कन्या के घर गई और कन्या की मांग में सिंदूर लगा दिया। ऐसा करते ही उनके पति की मृत्यु हो गई। लौटते वक्त सोना ने पीपल के पेड़ की परिक्रमा की। जब वह घर लौटी तो उसने देखा कि उसका पति जिंदा है। उसने ईश्वर को आशीर्वाद दिया तभी से इस दिन व्रत करने की परंपरा की शुरुआत हुई। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।
सोमवती अमावस्या पूजन
इस दिन गंगा स्नान का अधिक महत्व है इसलिए गंगा स्नान जरूर करें। यदि आप नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें। अमावस्या के दिन अपनी योग्यतानुसार दान-पुण्य जरूर करें इससे हर मनोकामना पूरी होती है। पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि कर सकते हैं।