जालंधर, विधायक से पूर्व विधायक हो चुके शीतल अंगुराल के कारण जालंधर वेस्ट सीट पिछले दो साल से सबसे ज्यादा चर्चा में रही है। शीतल का आम आदमी पार्टी की टिकट से लड़ना और जीतना। पूर्व सांसद सुशील रिंकू के साथ दुश्मनी और फिर दोस्ती। विधायकी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होना। इस्तीफा ना मंजूर होना, इस्तीफा वापसी का फैसला और फिर अचानक इस्तीफा मंजूर हो जाना। यही सब कारण है कि जालंधर वेस्ट सीट बहुत खास है।
वेस्ट सीट अब फिर से चर्चा में होगी। विधायक शीतल अंगुराल का इस्तीफा मंजूर होने के बाद चुनावी आखाड़ा सजने जा रहा है। चुनाव आयोग ने इस सीट पर उप चुनाव की घोषणा कर दी है। इस बार शीतल भाजपा की टिकट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। उनका मुकाबला कड़ा होगा। एक तरफ सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी, दूसरी तरफ हाल ही में लोकसभा चुनाव भारी मतों से जीती कांग्रेस पार्टी। यह मुकाबला शीतल अंगुराल ही नहीं बल्कि सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए बहुत अहम और चुनौतियां से भरा होगा। सभी की साख दांव पर लगने जा रही है।
माना जाता है कि उपचुनाव सत्ताधारी पार्टी अपने जोर पर जीत जाती है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन खास नहीं रहा। 2023 में सुशील रिंकू को लोकसभा उपचुनाव में तगड़ी जीत दिलाने वाली आप को इस बार वेस्ट हलके से बहुत कम सिर्फ 15,629 ही मिले। जबकि शहरी सीटों पर जीतने के दावा करने वाली भाजपा दूसरे नंबर रही और भाजपा प्रत्याशी को 42,837 वोट ही मिले। कांग्रेस के प्रत्याशी सबसे ज्यादा 44,394 वोट लेकर जीते हैं। यहां बड़ा सवाल यह भी है कि क्या शीतल अंगुराल को सुशील रिंकू का साथ मिल पाएगा। क्या उनकी जोड़ी 2023 के उपचुनाव जैसा परिणाम दिखा पाएगी।
आखिरी क्यों चर्चा में है विधानसभा हलका जालंधर वेस्ट
-2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी प्रत्याशी सुशील कुमार रिंकू के सामने आम आदमी पार्टी की तरफ से शीतल अंगुराल को उतारना और शीतल अंगुराल का भारी मतों से रिंकू को हराकर जीत हासिल करना। शीतल अंगुराल और सुशील रिंकू के बीच 36 का आंकड़ा था। शीतल जीत के बाद रिंकू पर हावी हो गए। जिसकी वजह से यह फाइट पहली बार पंजाब स्तर पर चर्चा में आई।
-2023 के लोकसभा उपचुनाव में फिर से यह सीट हॉट केक बनी, जब आम आदमी पार्टी ने सुशील कुमार रिंकू को आप का प्रत्याशी बना दिया। रिंकू जीत कर सांसद भी बन गए। अबकी बार बाजी पलटी और एक ही पार्टी में सुशील रिंकू शीतल अंगुराल पर हावी हो गए।
-2024 के लोकसभा चुनाव से पहले फिर वेस्ट सीट चर्चा में आई। क्योंकि इस बार सांसद की कुर्सी पर बैठे सुशील रिंकू ने आम आदमी पार्टी की टिकट लौटाकर भाजपा ज्वाइन कर ली और भाजपा से प्रत्याशी बने। सोने पर सुहागा तब हुआ जब शीतल अंगुराल ने भी विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा ज्वाइन कर ली और रिंकू के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। सभी को चौंका दिया। इस उल्टफेर से भी वेस्ट हलका चर्चा में आया।
-2024 लोकसभा चुनाव में वोटिंग के अलगे ही दिन शीतल अंगुराल ने अपना इस्तीफा वापिस लेने को सरकार को नोटिस दिया। तब एक बार फिर से इस सीट पर बड़ी हलचल हुई। आम आदमी पार्टी ने भी शीतल के इस दांव का जवाब बड़े रोचक ढंग से उनका इस्तीफा मंजूर करके दिया। हालांकि कहा जा रहा है कि इस्तीफा बैकडेट में मंजूर किया गया, लेकिन यही राजनीति है।
-यह सीट इसलिए भी खासी चर्चित रही कि सुशील कुमार रिंकू ने जीतनी बार पार्टियां बदलीं, उतनी ही बार उनके साथ चलने वाले पार्षदों, पूर्व पार्षदों और अन्य नेताओं ने भी पार्टी बदली। सबसे ज्यादा दल बदलने और उल्टफेर का नजारा वेस्ट हलके में ही देखने को मिला।
कम समय में उम्मीदवार उतरने का रहेगा पार्टियों पर प्रैशर
उपचुनाव में राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवारों की नाम की घोषणा करने के लिए 4-5 दिन का ही समय बचा है। इस समय के दौरान पार्टियों को अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करनी होगी। चुनाव आयोग के मुताबिक नामांकन 14 जून को शुरू हो जाएगा और 21 जून को नामांकन का आखिरी दिन होगा। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों को तुरंत उम्मीदवारों के नाम पर मोहर लगानी होगी।
भाजपा -शीतल को मौका या चेहरा बदलेगी भाजपा
भारतीय जनता पार्टी विधायक पद से इस्तीफा देने वाले शीतल अंगुराल को उपचुनाव में उतरेगी या किसी नए चेहरे को मौका दिया जाएगा। यह भी एक बड़ा सवाल है। हालांकि शीतल अंगुराल ने लाइव होकर खुद कहा है कि पार्टी को उनके नाम पर फैसला लेना है। पार्टी उन्हें या किसी को भी जिम्मेदारी देगी, वह उसका समर्थन करेंगे। शीतल अंगुराल ने 2022 में आम आदमी पार्टी की टिकट से चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। अब भाजपा में शामिल होने के बाद वे विधानसभा वेस्ट हलके से लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत नहीं दिला पाए हैं। शहरी सीट होने के बावजूद भाजपा लोकसभा चुनाव में इस सीट पर दूसरे नंबर पर रही। शीतल को टिकट मिल भी जाती है तो उनके लिए सीट जीतना आसान नहीं होगा। उनको सभी को साथ लेकर चलने की चुनौती होगी।
आम आदमी पार्टी – तीन ऑप्शन, किसी मिलेगा मौका
आम आदमी पार्टी के पास वेस्ट सीट से तीन ऑप्शन हैं। भाजपा छोड़कर आए मोहिंदर भगत को हाल ही में पार्टी ने वेस्ट सीट से प्रभारी नियुक्त किया था। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी बहुत अच्छा परफार्मेंस नहीं कर पाई थी। अन्य पार्टियों के मुकाबले आम आदमी पार्टी को काम वोट मिले थे। जिसके लिए सीधे तौर पर प्रभारी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। दूसरा ऑप्शन भाजपा छोड़ आम में आए युवा नेता रोबिन सांपला हैं। रोबिन इसी सीट से भाजपा में भी टिकट की मांग कर चुके हैं। अब वह आप से भी टिकट के दावेदार बन गए हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी लोकसभा प्रत्याशी बनाए गए पवन कुमार टीनू को भी मैदान में उतार सकती है। अगर टीनू जीत जाते हैं तो उनको मंत्री बनाया जा सकता है या फिर पंजाब के डिप्टी सीएम पद पर भी बैठाया जा सकता है।
कांग्रेस – बड़े दलित परिवार टूटे, चेहरों की कमी
विधानसभा हलका जालंधर वेस्ट में सबसे ज्यादा खमियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा है। इस हलके में कांग्रेस से जुड़े बड़े दलित परिवार ही पार्टी छोड़ चुके हैं। चौधरी परिवार भी भाजपा में शामिल हो चुका है। केपी परिवार अकाली दल का हिस्सा है। सुशील रिंकू भी भाजपा में हैं। बता दें सुशील रिंकू जब पहली बार 2023 में आम आदमी पार्टी में गए तो उन्होंने अपने सभी पुराने कांग्रेसी पार्षदों और नेताओं को आप में शामिल करावा लिया। इसके बाद भाजपा में गए तो उनको भाजपा में शिफ्ट करवा दिया। अब जो कांग्रेस में कुछ लोग बच गए थे उनको भी 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा में शामिल करवा दिया। अब कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं बचा है। कांग्रेस के पास इस हलके में संगठन ही बाकी नहीं है। हलका इंचार्ज तक नहीं है। चर्चा है कि मोहिंदर सिंह केपी कांग्रेस में घर वापसी कर सकते हैं और उनको या फिर उनके परिवार के किसी व्यक्ति को वेस्ट से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।
अकाली दल – केपी लड़ेंगे या टीनू की होगी घर वापसी
अकाली दल के पास भी विधासनभा में उतरने को कोई प्रमुख दलित चेहरा नहीं है। क्योंकि अकाली दल भाजपा से अलग होकर पहली बार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगा। यह सीट गठबंधन में भी भाजपा के पास थी, इसलिए अकाली दल के पास इस सीट पर दलित चेहरा नहीं है और न ही उनका बहुत बड़ा आधार ही है। बता दें कि अब कांग्रेस छोड़ आए मोहिंदर सिंह केपी को ही अकाली दल विधानसभा उपचुनाव में उतारने पर चर्चा शुरू हो चुकी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अकाली दल छोड़कर आम आदमी पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले पवन कुमार टीनू की अकाली दल में घर वापसी करवाई जा सकती है। उन्हें ही वेस्ट से प्रत्याशी बनाकर उतारा जा सकता है। इसके अलावा वाल्मीकि समाज से एक नाम सुभाष सोंधी का भी सामने आ रहा है। अकाली दल के पास दलित चेहरों की कमी है। वैसे ही इस हलके में अकाली दल का अपना कोई बड़ा आधार नहीं है।