India lost the Border-Gavaskar Trophy after a decade and Know 8 big reasons : ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी टेस्ट में भारतीय टीम को छह विकेट से हार का सामना करना पड़ा। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच मैचों की बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का पांचवां मैच ऑस्ट्रेलिया ने 6 विकेट से जीत लिया है। इस हार के चलते भारतीय टीम ने 10 साल बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) भी गंवा दी। वहीं ऑस्ट्रेलिया ने 2014-15 के एक दशक बाद यह प्रतिष्ठित सीरीज कब्जाई है। भारत ने इस मैच के साथ यह सीरीज भी 1-3 से गंवा दी। यही नहीं भारतीय टीम ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचने का मौका भी गंवा दिया। अब WTC फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका की भिड़ंत होगी।
ऑस्ट्रेलिया बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीता, 5वे टेस्ट मैच का आखिरी दिन
इससे पहले मैच के आखिरी दिन ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 162 रन बनाने थे और उसने उस्मान ख्वाजा और ट्रेविस हेड की पारियों की बदौलत 4 विकेट खोकर लक्ष्य प्राप्त कर लिया। भारतीय टीम ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 की शुरुआत पर्थ टेस्ट में शानदार जीत के साथ की थी मगर उसके बाद उसका मोमेंटम बिगड़ गया। एडिलेड टेस्ट को ऑस्ट्रेलिया ने 10 विकेट से जीता फिर ब्रिस्बेन टेस्ट को भारतीय टीम किसी तरह बचाने में कामयाब रही। मेलबर्न टेस्ट में कहानी एडिलेड की तरह ही रही। मेलबर्न टेस्ट को ऑस्ट्रेलिया ने 184 रनों से अपने नाम किया था।
ये रहे भारतीय टीम की बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में हार के बड़े कारण...
1. भारत की बल्लेबाजी फेल
भारत के बल्लेबाजों ने अच्छी शुरुआत तो की, लेकिन वे कई बार लंबे समय तक विकेटों पर टिकने में विफल रहे। खासकर भारतीय शीर्षक्रम पूरी तरह विफल रहा। हालांकि यशस्वी जायसवाल सबसे बढ़िया प्रदर्शन करने वाले बल्लेबाज रहे। उन्होंने पांच मैचों में 369 रन बनाए। विराट कोहली ने पूरी सीरीज में 5 मैचों में केवल 190 रन बनाए। रोहित शर्मा ने तीन मैचों में 31 रन. केएल राहुल से भी बहुत उम्मीदें थीं लेकिन वे अपनी अच्छी शुरुआत को आगे नहीं बढ़ा पाए।
2. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी
ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को मुश्किल में डाला। पैट कमिंस तो निरंतर अच्छी गेंदबाजी करते रहे। उनके अलावा पहले जोश हेजलवुड और उसके बाद स्कॉट बोलैंड ने धारदार गेंदबाजी की। पैट कमिंस इस सीरीज में 23 विकेट लेकर दूसरे सबसे ज्यादा सफल गेंदबाज रहे। उनके अलावा बोलैंड ने भी 19 विकेट लिए।
3. पिचों का प्रभाव व चोटें
भारतीय पिचों पर बहुत अधिक स्पिन और उछाल होता है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में तेज उछाल लेती पिच पर भारतीय बल्लेबाज विफल रहे। कई बल्लेबाज बाउंस पर चोटिल होते-होते बचे। ऋषभ पंत तो हाथ में काफी बुरी तरह चोटिल हो गए थे। यह भारतीय बल्लेबाजों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। भारतीय टीम के प्रमुख खिलाड़ी शुभमन गिल पहले चोट के कारण पहला मैच खेलने से चूक गए और उसके बाद जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति ने टीम को कमजोर किया।
4. ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी
ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजी के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन किया। बुमराह के अलावा सिराज काे उन्होंने बखूबी खेला। ऑस्ट्रेलिया ने अपनी टीम में लगभग प्रत्येक मैच में एक नए खिलाड़ी का डेब्यू करवाया। जिससे भारतीय गेंदबाजों को उनकी कमजोरी भांपने में समय लगा। इसके साथ ही स्टीव स्मिथ, ट्रेविस हेड, और मार्नस लाबुशेन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
5. बुमराह पर निर्भरता
भारतीय टीम में सिर्फ एक खिलाड़ी पूरी शिद्दत से खेलता नजर आया, जो जसप्रीत बुमराह रहे। उन्होंने पूरी सीरीज में 152.1 ओवर गेंदबाजी करते हुए 32 विकेट लिए। उन्हें इतनी ज्यादा गेंदबाजी का खामियाजा भी उठाना पड़ा। अंतिम मैच में उन्हें पीठ में समस्या भी झेलनी पड़ी और आखिरी मैच से बाहर होना पड़ा। बुमराह ने तो दमदार प्रदर्शन किया, लेकिन उनके इस प्रदर्शन पर खासकर भारतीय बल्लेबाजों ने पानी फेरा। गेंदबाजी में भी बुमराह को साथी बॉलर्स का उतना साथ नहीं मिला।
6. कप्तान बदला गया
भारतीय टीम के लिए इस सीरीज में कप्तानी की समस्या भी प्रमुख रही। पहले मैच में रोहित शर्मा उपलब्ध नहीं थे। वे अपने दूसरे बच्चे के जन्म के कारण भारत में ही रुक गए थे तो उनकी जगह जसप्रीत बुमराह ने अगुवाई की। दूसरे मैच में रोहित वापस लौटे, लेकिन आखिरी मैच तक उनका प्रदर्शन इतना खराब रहा कि उन्होंने स्वयं न खेलने का फैसला किया। पांचवें मैच में ही बुमराह चोटिल हो गए तो फिर विराट को कमान संभालनी पड़ी।
7. गंभीर की कोचिंग
भारतीय कोच गौतम गंभीर भी इस हार के बड़े दोषी माने जा सकते हैं। उनकी उपयोगिता टीम के लिए भारी पड़ रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आया कि टीम इंडिया के सीनियर खिलाड़ियों के साथ उनकी नहीं बन रही। इसके साथ ही कई खिलाड़ी अपने-अपने गुट में बंटे रहे। उनकी कोचिंग में भारत ने श्रीलंका और न्यूजीलैंड के खिलाफ हार झेली है। ऐसे में अब उन पर भी सवाल उठ रहे हैं।
8. अश्विन का संन्यास
भारतीय दिग्गज गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन का बीच मैच में संन्यास लेना टीम के लिए अच्छी खबर नहीं रही। वे इस पूरी भारतीय टीम के एक अनुभवी खिलाड़ी थे, लेकिन तीसरे मैच के बाद उनका अचानक रिटायरमेंट लेना भारत को मानसिक रूप से भारी पड़ा। भारत के खिलाड़ियों का मानसिक दबाव ने टीम के प्रदर्शन को प्रभावित किया। वे पहले ही न्यूजीलैंड के खिलाफ हारकर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहुंचे थे। हालांकि पहला मैच जीता लेकिन फिर एक के बाद एक मैच गंवाते गए।
ऐसे चला टीम इंडिया का ऑस्ट्रेलिया दौरा
22-25 नवंबर: पहला टेस्ट, पर्थ (भारत 295 रनों से जीता)
6-8 दिसंबर: दूसरा टेस्ट, एडिलेड (ऑस्ट्रेलिया की 10 विकेट से जीत)
14-18 दिसंबर: तीसरा टेस्ट, ब्रिस्बेन (ड्रॉ)
26-30 दिसंबर: चौथा टेस्ट, मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया की 184 रनों से जीत)
03-05 जनवरी: पांचवां टेस्ट, सिडनी (ऑस्ट्रेलिया 6 विकेट से जीता)
भारतीय टेस्ट टीम का सिडनी में रिकॉर्ड
कुल टेस्ट: 14
जीते: 1
हारे: 6
ड्रॉ: 7
भारत Vs ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज में H2H
कुल टेस्ट सीरीज: 29
भारत जीता: 11
ऑस्ट्रेलिया जीता: 13
ड्रॉ: 5
ऑस्ट्रेलिया में भारत का टेस्ट सीरीज रिकॉर्ड
कुल टेस्ट सीरीज: 14
भारत जीता: 2
ऑस्ट्रेलिया जीता: 9
ड्रॉ: 3
इंग्लैंड सीरीज और चैंपियंस ट्रॉफी पर नजर
इसके साथ ही भारतीय टीम मैदान और उसके बाहर भी कई कारणों से चर्चा में रही। मैदान पर खिलाड़ियों की आपसी झड़प. इसमें ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। कभी विराट के साथ भद्दा मजाक किया तो कभी जडेजा की प्रेस कांफ्रेंस पर विवाद का मुद्दा उठाया। खैर भारतीय टीम साल के पहले मैच में हार के साथ शुरुआत की है। उसे अब इंग्लैंड के साथ 5 टी20 और 3 ओडीआई मैच की सीरीज खेलनी है और उसके बाद चैंपियंस ट्रॉफी की शुरुआत करनी है। उम्मीद है कि भारतीय टीम इन कारणों से सबक सीखेगी और आगे का रास्ता तय करेगी।