5 Kakar was made the pride of Sikhs by the 10th Guru Gobind Singh of Sikhs : सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह की जयंती है। साल 1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया। माना जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह ने अपना पूरा जीवन सच्चाई की राह पर चलते हुए और लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। उनका जन्म पटना साहिब में हुआ था। उनके पिता गुरु तेगबहादुर सिखों के नौवें गुरु थे। गुरु गोबिंद सिंह की कई ऐसी शिक्षाएं हैं जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। गुरु गोबिंद सिंह ने 5 ककारों (पांच धार्मिक चिन्ह) के बारे में बताया था जो सिख धर्म के अनुयायियों के धार्मिक अनुशासन और पहचान का प्रतीक हैं।
सिख धर्म के 5 ककार
1. केश
बिना कटे बाल, जो ईश्वर की दी हुई प्राकृतिक देन को स्वीकारने और सम्मान देने का प्रतीक हैं। यह सिखों की आध्यात्मिकता और ईश्वर में विश्वास को दर्शाता है।
2. कड़ा
लोहे का कड़ा, जो सिखों की ईश्वर के साथ अटूट बंधन और सदा अच्छे कर्म करने की याद दिलाता है।
3. कंघा
लकड़ी की कंघी, जो बालों की सफाई और अनुशासन का प्रतीक है। यह सिखों के जीवन में स्वच्छता और व्यवस्था की अहमियत को दर्शाता है।
4. कच्छा
कच्छा सिख धर्म का चौथा ककार है। घुटनों तक का अधोवस्त्र, जो सिखों की पवित्रता और शारीरिक व मानसिक नियंत्रण का प्रतीक है।
5. कृपाण
एक छोटा कृपाण (तलवार), जो सिखों के साहस और धर्म की रक्षा के कर्तव्य का प्रतीक है। यह अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है।
गुरु ने दी ये सीख
गुरु गोबिंद सिंह ने कहा धरम दी किरत करनी यानि अपनी जीविका ईमानदारी पूर्वक काम करते हुए चलाएं। किसी का अहित ना करें। अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान में दे दें और गुरुबानी को कंठस्थ कर लें। काम में खूब मेहनत करें और काम को लेकर कोताही न बरतें। अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर घमंड ना करें। अपने सारे वादों पर खरा उतरने की कोशिश करें।
चुगली-निंदा से बचें
दुश्मन से भिड़ने पर पहले साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें। अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें। किसी की चुगली-निंदा से बचें और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय मेहनत करें। किसी भी विदेशी नागरिक, दुखी व्यक्ति, विकलांग व जरूरतमंद शख्स की मदद जरूर करें। खुद को सुरक्षित रखने के लिए शारीरिक सौष्ठव, हथियार चलाने और घुड़सवारी की प्रैक्टिस जरूर करें। आज के संदर्भ में नियमित व्यायाम जरूर करें।