Sultan Sikandar Lodi of Delhi had camped for 4 years : उत्तर प्रदेश का संभल जिला धार्मिक मान्यताओं को लेकर चर्चा के केंद्र में है। यहां मंदिर, मस्जिद और बावड़ी सुर्ख़ियों में है। हाल ही में मुस्लिम बाहुल्य इलाके में बिजली चोरी को लेकर चेकिंग अभियान के दौरान यहां एक मंदिर मिला। मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति और शिवलिंग मिला। वहीं, संभल के करीब चंदौसी में 150 साल पुरानी ऐतिहासिक बावड़ी का पता चला। बावड़ी की खबर मिलने के बाद इसकी खुदाई शुरू हो गई। इन सबके अलावा मस्जिद के सर्वे को लेकर भी संभल को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा रही। संभल का इतिहास धार्मिक मान्यताओं की ओर इशारा करता है। आइए तफसील से एक नजर डालते हैं...
सिकंदर लोदी ने चार साल तक डाला डेरा
28 सितंबर 2011 को भीमनगर के रूप में स्थापित हुए इस जिले का नाम 23 जुलाई 2012 को बदलकर संभल रखा गया। संभल के बारे में मान्यता है कि इसका अस्तित्व चारों युगों में रहा है। सतयुग में इसका नाम सत्यव्रत, त्रेता में महादगिरि, द्वापर में पिंगल और कलयुग में इसे संभल कहा गया। यह स्थान, उत्तरी भारत का एक महत्वपूर्ण केंद्र था और अनेक शासकों के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से बहुत ज्यादा जरूरी साबित हुआ।
बहलोल लोदी ने सिकंदर लोदी को सौंपा
संभल का ऐतिहासिक महत्व दिल्ली सल्तनत काल से लेकर मुगलकाल तक बहुत प्रमुख रहा है। दिल्ली सल्तनत के संस्थापक बहलोल लोदी ने अपने शासन काल में संभल को एक महत्वपूर्ण जागीर के रूप में अपने पुत्र सिकंदर लोदी को सौंपा। सिकंदर लोदी ने जब दिल्ली के सिंहासन पर अपना कब्जा जमा लिया, तब भी उन्होंने अगले चार साल तक संभल को अपना निवास स्थान बनाए रखा। यहीं पर उन्होंने एक महत्वपूर्ण धर्मसभा का भी आयोजन किया।
धार्मिक व सांस्कृतिक दृष्टिकोण से जरूरी
महत्वपूर्ण धर्मसभा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बहुत ज्यादा जरूरी थी। मुगलकाल में शेरशाह सूरी ने हुमायूं को पराजित कर दिल्ली की बागडोर अपने हाथों में ले ली। इसके बाद संभल की प्रशासनिक जिम्मेदारी 1552 ईस्वी में मित्रसेन को सौंपी गई। मित्रसेन ने उस समय संभल का गवर्नर बनकर वहां की व्यवस्था को ठीक किया। अकबर के शासन के समय भी संभल दिल्ली की सरकार का हिस्सा रहा।
कल्कि अवतार को लेकर संभल का इतिहास
संभल का इतिहास कल्कि अवतार और उसके साथ जुड़े धार्मिक मान्यताओं के कारण महत्वपूर्ण है। हिंदू धर्म में विष्णु के दस अवतारों में से कल्कि अवतार का विशेष स्थान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब धरा पर अधर्म और अन्याय का बोलबाला होगा, तब विष्णु भगवान कल्कि अवतार के रूप में अवतरित होंगे और संसार में एक बार फिर धर्म का राज होगा। यह माना जाता है कि कल्कि अवतार का जन्म संभल में होगा।
समय के साथ उच्चारण व लिखावट में बदलाव
पुराणों के अनुसार, कल्कि अवतार का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में होगा और यह परिवार संभल क्षेत्र का निवासी होगा। संभल के विभिन्न मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर कल्कि अवतार से संबंधित अनेक कहानियां और कथाएं लोगों की जुबां पर रहती है। संभल की पुरानी इमारतें, मंदिर, और मस्जिदें आज भी उन बीते युगों की झलक दे जाती हैं। संभल का नाम पहले 'शंभल' था और समय के साथ इसके उच्चारण और लिखावट में बदलाव हुआ।