Shraddha of Panchami Tithi today in Pitru Paksha : पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करके दान धर्म करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पितृपक्ष में आज पंचमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। इस दिन पितरों का पिंडदान और तर्पण करने की परंपरा है। कहते हैं कि पितृपक्ष में हमारे पितृ यमलोक से धरती पर उतरते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं। पितरों को प्रसन्न करने के लिए हम तिथिनुसार श्राद्धकर्म करते हैं। पितृपक्ष के पांचवें दिन पंचमी तिथि का श्राद्ध करने की परंपरा है। पंचमी तिथि पर परिवार के उन मृत सदस्यों का श्राद्ध किया जाता है। जिनकी मृत्यु हिंदू पंचांग के अनुसार, पंचमी तिथि पर होती है। इसे पंचमी का श्राद्ध भी कहा जाता है। श्राद्ध कर्म पितरों को तर्पण और श्राद्ध अर्पित करने के लिए किया जाता है।
पंचमी तिथि की श्राद्ध विधि
स्नान और शुद्धिकरण : श्राद्ध करने वाला व्यक्ति (श्राद्धकर्ता) प्रातः काल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
श्राद्ध स्थल की तैयारी : श्राद्ध के लिए एक पवित्र स्थान चुनें. वहां पवित्र आसन बिछाएं और ब्राह्मणों या योग्य व्यक्तियों को भोजन के लिए आमंत्रित करें। पंचपात्र और दक्षिणा तैयार रखें।
पितरों का आह्वान : श्राद्धकर्ता अपने पितरों का ध्यान करते हुए मंत्रों के साथ आह्वान करें। यह चरण पितरों को श्राद्ध कर्म में सम्मिलित करने का होता है।
तर्पण : तर्पण प्रक्रिया में जल, तिल और कुशा का उपयोग करते हुए पितरों को अर्पित करें। तर्पण तीन बार करें। मंत्रोच्चारण के साथ पितरों को जल प्रदान करें।
पिंडदान : पिंडदान श्राद्ध कर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चावल, जौ और तिल से बने पिंडों को पितरों को समर्पित करें। पिंडों को तैयार कर मंत्रों के साथ पितरों को अर्पित करें।
हवन : हवन के दौरान घी, तिल, जौ आदि की आहुति दी जाती है। यह पवित्र अग्नि में पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए किया जाता है।
ब्राह्मण भोज : श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मणों या किसी योग्य व्यक्ति को भोजन कराना अनिवार्य होता है। उन्हें भोजन, वस्त्र और दक्षिणा प्रदान करें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
श्राद्ध भोजन : आखिरी में श्राद्धकर्ता और परिवार के अन्य सदस्य भी भोजन ग्रहण करें। यह भोजन पवित्र माना जाता है और इसे ग्रहण करना श्राद्ध कर्म का एक हिस्सा है। अंत में पितरों से आशीर्वाद लेकर श्राद्ध कर्म का समापन करें।