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First American Death : 7 दिसंबर 1982, जब जहरीले इंजेक्शन से पहली बार दी गई सजा-ए-मौत, चार्ल्स ब्रूक्स की धड़कनें रुकीं, शरीर सुन्न पड़ा


First American Death : 7 दिसंबर 1982, जब जहरीले इंजेक्शन से पहली
12/7/2024 2:41:42 PM         Raj        First American Death, Charlie Brooks Jr, first American death by lethal injection, 7 december 1982 history,मौत का इंजेक्शन, मौत की सजा, सजा ए मौत, चार्ल्स ब्रूक्स,              

7 December 1982, when the first death sentence was given by poisonous injection : हत्या के एक मामले में दोषी करार दिए चार्ल्स ब्रूक्स को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। अमेरिका के इतिहास में सात दिसंबर 1982 की तारीख अहम है क्योंकि इसी दिन पहली बार दुनिया भर में किसी को जहरीले इंजेक्शन के जरिए मौत की सजा दी गई थी तब इसपर खूब विवाद हुआ था। इसके बाद सजा देने के तरीके पर पूरी दुनिया में बहस शुरू हो गई थी। हालांकि, आज दुनिया के कई और देश इस तरीके से मौत की सजा देने लगे हैं। आइए जान लेते हैं कि दुनिया में जब पहली बार जहरीले इंजेक्शन से सजा-ए-मौत दी गई तो बहस क्यों छिड़ गई थी।

कई दवाओं का मिश्रण तैयार किया गया था

दरअसल, ब्रूक्स को मौत की सजा देने के लिए कई तरह की दवाओं का एक मिश्रण तैयार किया गया था। अमेरिकी शहर टेक्सास में ब्रूक्स को दवाओं के मिश्रण वाला वह जहरीला इंजेक्शन लगाया गया। इससे ब्रूक्स के दिमाग के साथ ही पूरा शरीर सुन्न पड़ गया था फिर शरीर पैरालाइज हो गया और उसके दिल की धड़कनें रुक गईं। इससे ब्रूक्स की मौत हो गई। इसी के साथ यह बहस भी शुरू हो गई कि आखिर मौत की सजा देने का यह तरीका कितना जायज है। दुनिया भर में इस पर चर्चा होने लगी। यह सवाल भी उठाया गया कि क्या जहरीला इंजेक्शन लगाकर मौत की सजा देने की यह प्रक्रिया मानवीय है।

सजा देने के इस तरीके के खिलाफ थे डॉक्टर

सबसे अहम बात यह है कि बड़ी संख्या में डॉक्टर मौत की सजा देने के इस तरीके के खिलाफ थे। इस पर तर्क दिया गया था कि इस जहरीले इंजेक्शन में ऐसी दवाएं इस्तेमाल की गई हैं, जिससे इंसान गहरी बेहोशी में चला जाता है। इस कारण मरने वाले को दर्द का अहसास नहीं होता है। सजा देने के इस तरीके के पीछे यह भी तर्क दिया गया था कि किसी भी इंसान को गैस चैंबर में डालकर या बिजली का करंट लगाकर अथवा फंदे पर लटकाकर मारने की अपेक्षा जहरीला इंजेक्शन देना ज्यादा मानवीय है, क्योंकि दूसरे तरीकों के मुकाबले इसमें सजा पाने वाले को दर्द नहीं होता है।

डॉक्टर ने नहीं लगाया था जहरीला इंजेक्शन

अमेरिकी जर्नलिस्ट डिक रिएविस की साल 1983 में टेक्सास डेली में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। इसमें उन्होंने लिखा था कि अमेरिका के इतिहास में ऐसा पहली बार था, जब एक ऐसा व्यक्ति दोषी को मौत का इंजेक्शन दे रहा था, जिसके पास डॉक्टरी की कोई डिग्री नहीं है। वह व्यक्ति न तो डॉक्टर है और न ही फार्माकोलॉजिस्ट. जेल में बने एक छोटे से कमरे में ब्रूक्स को जहरीला इंजेक्शन लगाया गया था। हालांकि, हत्या के जिस मामले में उसे सजा-ए-मौत सुनाई गई थी। उसी मामले में ब्रूक्स के साथ वुडी लाउड्रेस को भी दोषी मानते मौत की सजा सुनाई गई थी यह और बात है कि बाद में वुडी की सजा तो घटा दी गई।

अमेरिका में सबसे पहले किया गया इस्तेमाल

दुनिया भर में अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजाएं हैं। सबसे गंभीर अपराध के लिए सबसे बड़ी सजा है मौत की सजा। अलग-अलग देशों में मौत की सजा देने का तरीका भी अलग-अलग है। भारत समेत दुनिया भर के 58 देश ऐसे हैं, जहां कोर्ट से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद दोषी को फांसी दे दी जाती है। कई ऐसे देश भी हैं, जहां सजा-ए-मौत देने के लिए एक से ज्यादा तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिका में भी ऐसा ही होता है. वहां मौत की सजा गोली मारकर दी जाती है तो कई मामलों में जहरीला इंजेक्शन दिया जाता है। जहरीला इंजेक्शन देने की शुरुआत भी अमेरिका में सात दिसंबर 1982 को हुई थी।

पांच देशों में होता है इंजेक्शन का इस्तेमाल

रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका, चीन और फिलीपींस समेत दुनिया के पांच देशों में इंजेक्शन से सजा-ए-मौत दी जाती है। 58 देश ऐसे हैं, जहां फांसी दी जाती है। इनमें से भारत समेत 33 देश ऐसे हैं, जहां केवल फांसी दी जाती और मौत की सजा देने के लिए दूसरा विकल्प नहीं है। बचे अन्य देशों में फांसी के अलावा मौत की सजा देने का विकल्प है। वहीं, 73 देशों में मौत की सजा पाए व्यक्ति को गोली मार दी जाती है। अफगान, सूडान समेत दुनिया में छह देश ऐसे हैं, जहां पत्थर मारकर अथवा गोली मारकर मौत की सजा देने का प्रावधान है। हालांकि, दुनिया में 97 देश अबतक मौत की सजा का प्रावधान खत्म कर चुके हैं।

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