History of Nag Vasuki revealed in IITs research : हिंदू लोककथाओं में वासुकी नामक एक विशाल नाग राजा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके पास अलौकिक शक्तियां और ताकत है। वासुकी को अक्सर देवता शिव की गर्दन के चारों ओर लिपटे हुए चित्रित किया जाता है। वासुकी भारत के वार्षिक नाग पंचमी उत्सव में पूजे जाने वाले कई सांपों में से एक है। माना जाता है कि यह प्रथा आने वाले साल में सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करती है। दो रिसर्चर्स ने हाल ही में एक विशाल सांप प्रजाति की खोज की है। माना जा रहा है कि यह प्रजाति 4.7 करोड़ साल पहले भारत के गुजरात राज्य में रहती थी। आईआईटी रूड़की की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, स्टडी में पता चला है कि इस सांप की लंबाई 36 से लगभग 50 फीट के बीच थी। इस सांप का नाम Vasuki Indicus रखा गया है।
IIT रूड़की ने खोजा बड़े सांप का जीवाश्म
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रूड़की (IITR) के पोस्टडॉक्टोरल फेलो और साइंस रिपोर्ट्स में पब्लिश प्रजातियों से जुड़ी स्टडी के को-ऑथर सह-लेखक देबजीत दत्ता के अनुसार, वासुकी हमारे राजा हैं और ये जीवाश्म उनके जैसा है। यह असाधारण रूप से एक बड़ा सांप है। Vasuki Indicus के जीवाश्म शुरू में लगभग 20 साल पहले गुजरात में कच्छ की एक कोयला खदान में मिले थे। दत्ता के को-ऑथर, आईआईटी रूड़की में जीवाश्म विज्ञान के प्रोफेसर सुनील बाजपेयी ने इनकी खोज की थी। उस समय उनका मानना था कि ये जीवाश्म प्रागैतिहासिक प्रजाति के मगरमच्छ के हैं। उन्होंने इन जीवाश्म को अपनी लैब में छिपा दिया था।
वासुकी इंडिकस की पूर्वकाल ट्रंक वर्टिब्रेट
2022 में बाजपेयी की लैब से जुड़ने वाले दत्ता ने जीवाश्मों की जांच शुरू की, तब तक एहसास नहीं हुआ कि जीवाश्म एक अलग प्रकार के जानवर के थे। दत्ता के मुताबिक, पहले खोजे गए मगरमच्छों का जिक्र करने वाले ढेरों साहित्य मौजूद हैं, लेकिन जब हमने जीवाश्मों के आसपास की तलछट को छांटना शुरू किया तो हमें पता लगा कि उनमें कुछ शारीरिक विशेषताएं थीं, जो वास्तव में मगरमच्छ जैसी नहीं थीं और इसके बजाय शायद सांप जैसी थीं। रिसर्चर्स ने 27 संरक्षित रीढ़ की हड्डियों को साफ किया और उनकी पहचान की। ये लगभग 1.5 इंच से 2.5 इंच लंबी और 2.5 इंच से चार इंच चौड़ी थी। उनके अनुसार जिस सांप का जीवाश्म मिला वो वयस्क था।
ऐसी रही होगी वासुकी इंडिकस की लाइफ
बाजपेयी के मुताबिक, वी. इंडिकस शायद अब तक के सबसे बड़े सांपों में से एक रहा होगा और यह पृथ्वी के दक्षिणी हिस्से में रहने वाले सांपों की प्रजाति की एक फैमिली Madtsoiidae से संबंधित था। हालांकि जिस माइनिंग एरिया में बाजपेयी को जीवाश्म मिले थे वह आज सूखा और धूल से भरा है, लेकिन जब वी. इंडिकस पृथ्वी पर घूमता था तो यह इलाका दलदली था। न्यू मैक्सिको हाईलैंड्स यूनिवर्सिटी के जीव विज्ञान के प्रोफेसर जीसस रिवास, जो सांपों की स्टडी करते हैं, उन्हें शक है कि वी. इंडिकस बड़े साइज की वजह से जमीन से मुश्किल तेजी से चलते होंगे। हालांकि, यह प्रजाति पानी के जरिए तेजी से आगे बढ़ सकती है।
वासुकी इंडिकस की प्रीक्लोएकल वर्टिब्रेट
सांस लेने के लिए सांप को अपनी पसली (Rib Cage) को ऊपर उठाने की जरूरत होती है, जिससे ग्रैविटी से लड़ने के लिए मांसपेशियों को मेहनत करनी पड़ती है। रिवास के अनुसार, लेकिन पानी में इसके शरीर के लिए सांस लेना शायद आसान था और यही कारण हो सकता है कि आज एनाकोंडा जैसे कई बड़े सांप जलीय हैं। वी. इंडिकस की खोज से साइंटिस्ट्स को ना केवल सांपों के विकास के बारे में करीब से जानकारी मिलती है, बल्कि इस बात की भी गहरी समझ मिलती है कि कैसे समय के साथ महाद्वीप भौतिक तौर पर बदला है। साथ ही दुनिया भर में प्रजातियां कैसे फैल गईं।
50 फीट की लंबाई और 1 टन का वजन
किसी समय लगभग 5 करोड़ साल पहले भारत एशिया से टकराया था और इस टकराव के परिणामस्वरूप एक प्रमुख जमीनी रास्ता बन गया था। यह वही है जिसने इन सांपों और दूसरे प्रागैतिहासिक जानवरों को रास्ता पार करने और आखिरकार विकसित होने और नई प्रजातियां बनाने में मदद की। आकार की बात करें तो वासुकी इंडिकस अब विलुप्त हो चुके टाइटेनोबोआ से भी बड़ा हो सकता है, जोकि सबसे बड़ा ज्ञात सांप है, जिसकी लंबाई 42 फीट थी। वासुकी इंडिकस की अनुमानित 50 फीट लंबाई को देखते हुए रिसर्चर्स को लगता है कि इसका वजन 1 टन या 1,000 किलोग्राम तक हो सकता है।
6 करोड़ साल पहले अस्तित्व में प्रजाति
बता दें कि आज का सबसे बड़ा जीवित सांप एशिया का 33 फीट लंबा पाइथन है। रिसचर्स के अनुसार, यह ध्यान देने वाली बात है कि वासुकी लंबाई के लिहाज से अब तक का सबसे बड़ा सांप हो सकता है क्योंकि इसकी लंबाई का अनुमान टाइटनोबोआ से ज्यादा है। हालांकि, इस भारतीय वासुकी की रीढ़ की हड्डी का साइज टाइटनोबोआ की तुलना में थोड़ा छोटे है। यानी मोटाई में टाइटनोबोआ का आकार बड़ा है। यह प्रजाति आकार में विलुप्त टाइटेनोबोआ सेरेजोनेंसिस (Titanoboa Cerrejonensis) के बराबर है, जो अनुमानित 6 करोड़ साल पहले अस्तित्व में थी और सबसे बड़ी ज्ञात सांप प्रजाति है।