Naivedya is considered auspicious and auspicious : पूजा के बाद भोग लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं। वास्तु शास्त्र में भगवान को भोग लगाने से जुड़े कई नियम बताए गए हैं। भगवान को भोग या प्रसाद चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्यान न रखा जाए तो घर में परेशानियां आने में देर नहीं लगती। आपको भी भोग लगाने से जुड़ी गलतियां नहीं करनी चाहिए. आपको बता दें कि भगवान को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को नैवेद्य कहा जाता है। यह नैवेद्य अत्यंत शुभ एवं मंगलकारी माना जाता है। हालांकि, कई लोग इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि भगवान को नैवेद्य चढ़ाने के बाद उसका क्या करें। क्या इसे स्वीकार कर लेना चाहिए या फिर इसे मूर्ति के पास खुला छोड़ देना चाहिए।
नकारात्मक शक्तियां आती हैं
वास्तु शास्त्र के अनुसार भगवान को भोग लगाने के कुछ देर बाद उसे वहां से हटा देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यदि भोग या प्रसाद को वहां से न हटाया जाए तो चंडांशु, चांडाली, श्वक्षणे और चंडेश्वर नाम की नकारात्मक शक्तियां वहां आ जाती हैं और भोग को दूषित कर देती हैं। इससे व्यक्ति के बुरे दिन शुरू हो जाते हैं। वास्तुशास्त्री के अनुसार प्रसाद को तांबे, चांदी, सोने, पत्थर, मिट्टी या लकड़ी से बने बर्तन में भगवान की मूर्ति के सामने रखना चाहिए। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
भोग लगाने के बाद ऐसा करें
वास्तु शास्त्र के अनुसार भगवान को भोग लगाने के बाद यह भोग प्रसाद का रूप ले लेता है। ऐसे में उस प्रसाद को स्वयं ग्रहण करना चाहिए। साथ ही उस प्रसाद को दूसरों में भी बांटना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और प्रसाद ग्रहण करने वाले सभी लोगों को आशीर्वाद देते हैं। कहा जाता है कि जो लोग प्रसाद से जुड़े इस नियम का श्रद्धापूर्वक पालन करते हैं, उन्हें कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता और घर खुशियों से भरा रहता है।