खबरिस्तान नेटवर्क: कॉमनवेल्थ गेम्स में लॉन बॉल में भारत की महिला टीम ने गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया है। इस गोल्ड मेडल को दिलाने वाली स्टार प्लेयर रूपा रानी तिर्की झारखंड की राजधानी रांची की रहने वाली हैं। बता दें इस गेम के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। वहीँ आज हम आपको रूपा रानी के बारे में बता ने वाले हैं कि कैसे वे इस खेल में अच्छा प्रदर्शन कर पाईं।
रूपा रानी तिर्की की महत्वपूर्ण भूमिका
बता दें बर्मिंघम कॉमनवेल्थ में जब भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को हराया और फाइनल में पहुंची, तब इस खेल के बारे में देश के लोगों को मालूम हुआ। यहां तक कि टीम को इस लेवल तक पहुँचाने में रूपा रानी तिर्की ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वही इस मैच में फाइनल में साउथ अफ्रीका के साथ रूपा तिर्की ने नेतृत्व किया।
स्पोर्ट्स ऑफिसर के पद पर तैनात
बता दें रूपा का जन्म रांची में हुआ। फिलहाल वे झारखंड के ही रामगढ़ जिले में जिला खेल पदाधिकारी के रूप में काम कर रही हैं। इसके पहले चाईबासा में इसी पद पर थी। चार महीने पहलेही उनका ट्रान्सफर नेशनल कैंप दिल्ली में हुआ है। लेकिन अभी उन्होंने वहां ज्वॉइन नहीं किया है।
बड़ी बहन खलती हैं क्रिकेट
रूपा के पापा पोस्ट ऑफिस में नौकरी करते थे। 2007 में उनके निधन के बाद उनकी मां को डोरंडा पोस्ट ऑफिस में नौकरी मिली। फिलहाल वो भी साल भर पहले रिटायर हो चुकी हैं। उनकी एक बड़ी और एक छोटी बहन है। बड़ी बहन रीमा रानी तिर्की बिशप स्कूल डोरंडा में स्पोर्ट्स टीचर के पद पर हैं और वे क्रिकेट खेलती है। जबकि छोटी बहन रायमा रानी तिर्की ने हाल ही में एमबीए किया है। वह भी पहले बॉस्केट बॉल खेलती थी।
खेल के साथस अथ पढ़ाई भी की
रूपा ने संत अन्ना स्कूल रांची से पढ़ाई की है। उसके बाद गोस्सनर कॉलेज में ग्रेजुएशन की। खेल के साथ पढ़ाई को जारी रखा। उन्होंने इतिहास विषय से ग्रेजुएशन किया है। अक्टूबर 2020 में मुरी में नौकरी मिली थी।
नेशनल लेवल पर कबड्डी खेल चुकी हैं
लॉन बॉल्स में आने से पहले उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कबड्डी भी खेली है। इसके साथ ही बास्केटबॉल भी खेला है। इसी दौरान उनको किसी ने गाइड ने किया कि उन्हें लॉन बॉल खेलना चाहिए। बस फिर क्या उन्होंने इस गेम को खेलना शुरू किया।
लोग कसते थे ताने, ये कौन सा खेल है
रूपा के मुताबिक जब उन्होंने लॉन बॉल्स में खेलने का फैसला किया तो लोगों ने कहा कि ये कौन सा खेल है। इसमें कोई फ्यूचर नहीं है। घर परिवार के ही लोगों ने कहा कि दूसरे गेम में जाना चाहिए। लेकिन उन्होंने सभी की बातों को नकारते हुए इस खेल में अपना भविष्य बनाया और आज वे लॉन बॉल्स में एक कामयाब प्लेयर हैं।
गुवाहाटी में नेशनल कैंप में हुआ सेलेक्शन
जब साल 2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स होने थे। तो कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए इंडियन टीम बनाने की तैयारी चल रही थी। तब ऑस्ट्रेलिया के कोच रिचर्ड गेर ने ट्रेनिंग देना शुरू किया। 40-40 दिन के दो ट्रेनिंग कैंप के लिए न्यूजीलैंड और मलेशिया में रही। इस ट्रेनिंग का ही असर रहा कि इंडियन टीम सेमीफाइनल तक पहुंच सकी। इसके बाद लगातार खेल चलता रहा।
शादी करने के महीने बाद ही कैंप ज्वाइन किया
बता दें कि रूपा की शादी इसी साल जनवरी में हुई। उनके पति अमृत मिंज इंजीनियर हैं। शादी के एक महीने बाद ही रूपा को दिल्ली में नेशनल कैंप के लिए जाना पड़ा। तभी उनके पति ने उन्हें कैंप जाने के लिए प्रोमोट किया। आज उनके सपोर्ट के कारण ही हम खेल जीत पायें हैं।
धौनी सर ने खूब बढ़ाया है उत्साह
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने हमेशा मोटीवेट किया है। जब उनका दिउड़ी मंदिर जाना होता है तब वो प्रैक्टिस करते समय मिलने जरूर आते हैं। लॉन बॉल्स भी खेल लेते हैं।
टीम को लगातार मोटिवेट किया
रूपा के अनुसार साउथ अफ्रीका को हराना आसान नहीं था। वो वर्ल्ड चैंपियन रहे थे। कई कॉमनवेल्थ में वो विजेता रहे थे। लेकिन हमने सही रणनीति अपनायी। खिलाड़ियों को लगातार मोटिवेट करती रही। साउथ अफ्रीका की कमजोरियों को पहचाना और अपना नेचुरल खेल खेला। भारत को पहली बार कॉमनवेल्थ में मेडल मिल सका है। इसी स्ट्रेटजी से हमने न्यूजीलैंड जैसी मजबूत टीम को हराया था।